बाड़मेर जिले के जैसिंधर गांव के सैकंडरी स्कूल से प्रधानाध्यापक पद से रिटायर्ड 82 साल के बुजुर्ग शंकरलाल आचार्य (पुष्करणा) बताते है कि हम भारत की आजादी के 75 साल पूर्ण होने पर अमृत महोत्सव मना रहे हैं। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वर्तमान में युवा पीढी को सबसे अधिक आजादी का मूल्य समझाने की जरूरत है। हमें आजादी ऐसे ही नहीं मिली है। बड़े संघर्ष और बलिदान के बाद स्वतंत्रता हमने पाई है। पहले की पीढ़ी ने तो समझा है। आज की युवा पीढ़ी को आजादी के मायने समझने होंगे। इसका कारण यह है कि युवा पीढ़ी को ही आगे इस स्वाधीनता को सहेजना होगा। इसलिए स्वतंत्रता कैसे और कितने बलिदानों के बाद मिली है, इसका अहसास प्रत्येक भारतीय युवा को होना ही चाहिए।
बड़े-बुजुर्ग बताएं बच्चों को आजादी का मतलब
बाड़मेर में बेरियों का बास में रहने वाले आचार्य का कहना है कि यह हम सभी बड़े-बुजुर्गों की जिम्मेदारी है कि अपनी युवा पीढ़ी को आजादी का महत्व बताएं। यह शुरूआत बचपन से ही हो जानी चाहिए। जिससे वह युवा होने तक भारत की आजादी के संघर्ष को बेहतर तरीके से समझ पाए। देखा जाए तो आज का युवा समझदार है। बस जरूरत है तो उन्हें बताने की है।
हालातों में काफी बदलाव
आचार्य का कहना है कि पहले और आज के हालातों में काफी बदलाव है। आजादी जरूर मिल चुकी थी, लेकिन जीवन का संघर्ष काफी बड़ा रहा है। उस वक्त की पीढ़ी ने इसे झेला भी है और गरीबी में कैसे गुजारा किया जाता है, उन्हें अच्छी तरह समझा था। आज स्थितियां बदल चुकी है। अब वैसे हालात तो बिल्कुल नहीं कहे जा सकते हैं। इसलिए जो हमने इतनी कठिनाइयां झेलकर पाया है, उसे संभालने के लिए आने वाली पीढ़ी में बेहतर समझ होनी चाहिए।
देश हमारे लिए सब कुछ
हमारा देश हमारे लिए सबकुछ है, यह भावना प्रथम होनी चाहिए। आज के युवाओं को देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा होना भी जरूरी है। कई बार देखने में आता है कि युवा कहीं भटक नहीं जाए, ऐसी स्थितियां कभी देखते हैं तो चिंता भी होती है। इस स्थिति में युवाओं को सही राह दिखाते हुए उन्हें अग्रसर करने की बहुत अधिक जरूरत है। तभी हम आजादी के सही मायने युवाओं के दिल और दिमाग में उतार पाएंगे।
सहीं राह चुने, जज्बा रखे
शिक्षक रहे चुके आचार्य बताते है कि आज युवाओं को सही राह चुनने की ज्यादा जरूरत है। आजादी के दम पर ही हम खुली हवा में सांस ले रहे है। इसलिए भटकने और भटकाने वालों से दूर रहकर खुद को सहीं मार्ग पर ले जाएं। तभी हम आजादी के 75 साल पूर्ण होने के अमृत महोत्सव की प्रासंगिकता को सार्थक कर पाएंगे। यह सब कुछ युवाओं के जज्बे से ही संभव होगा।
Source: Barmer News