जोधपुर. गुमशुदा नाबालिग बच्चों की तलाश व बाल मजदूरी करवाने वालों के खिलाफ फिर से पुलिस की ओर से एक अगस्त से ‘ऑपरेशन आशा-द्वितीय’ शुरू होने जा रहा है। इसकी सफलता के लिए पुलिस उपायुक्त पूर्व व पश्चिम की अध्यक्षता में गुरुवार को आयोजित कार्यशाला में चर्चा की गई।
पुलिस उपायुक्त (पश्चिम) आलोक श्रीवास्तव की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में एक से ३१ अगस्त तक गुमशुदा नाबालिग बच्चों की तलाश व बालश्रम की रोकथाम के लिए ‘ऑपरेशन आशा-द्वितीय’ अभियान शुरू किया जा रहा है। इसकी सफलता के लिए पुलिस अधिकारियों, थानों में बालश्रम से जुड़े पुलिसकर्मियों के अलावा सीडब्ल्यूसी, जेजे बोर्ड के सदस्य, चाइल्ड लाइन प्रभारी, मानव तस्करी विरोधी यूनिट पश्चिम के प्रभारी दिनेश लखावत आदि शामिल हुए। जिसमें सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, बाल अधिकारिता विभाग, बाल विकास विभाग, श्रम विभाग, बाल कल्याण समिति, चिल्ड्रन होम, शेल्टर होम, एनजीओ पुलिस बाल कल्याण समिति के अधिकारियों से समन्वय करने पर बल दिया गया।
कार्यशाला में निर्णय किया गया कि व्यावसायिक गतिविधियों वाले कारखानों, होटल व ढाबों पर बाल मजदूरों की पहचान कर नियोक्ता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए। साथ ही बच्चों को मुक्त करवाकर बाल कल्याण समिति के माध्यम से समाज में फिर स्थापित कराने पर विचार विमर्श किया गया।
नियोक्ता के साथ परिजन पर भी कार्रवाई के निर्देश
उधर, पुलिस उपायुक्त (पूर्व) धर्मेन्द्रसिंह की अध्यक्षता में पुलिस लाइन स्थित सरदार पटेल सभागार में आयोजित बैठक में ऑपरेशन आशा-द्वितीय व मासूम की सफलता पर रणनीति बनाई गई। डीसीपी ने बच्चों से मजदूरी कराने वाले नियोक्ता के अलावा दोषी परिजन के खिलाफ भी कार्रवाई करने पर बल दिया। मानव तस्करी विरोधी यूनिट पूर्व के प्रभारी मनोज राणा ने बच्चों को बाल मजदूरी से रोकने के लिए थानों से बाल कल्याण अधिकारी को प्रशिक्षण दिया गया है।
Source: Jodhpur