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जोधपुर. संभाग के रेगिस्तानी क्षेत्रों में जंगली बिल्ली की संख्या लगातार घटने से अब यह लुप्त होने के कगार पर है। मरुस्थलीय क्षेत्रों की मिनी शेरनी कहे जाने वाली बिल्ली की संख्या पूरे जोधपुर संभाग में अब मात्र 214 ही बची है। नवीनतम वन्यजीव गणना में जोधपुर जिले में जंगली बिल्लियों की संख्या घटकर 23 रह गई है, जो दो साल पहले तक 32 थी। जंगली बिल्लियों की संख्या में कमी पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन गड़बड़ाने का संकेत देता है। वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार मरुस्थलीय क्षेत्र में चूहों और कई तरह जीवों की संख्या को नियंत्रण करने में जंगली बिल्ली की भूमिका एक तेंदुए की तरह होती है। ऐसा भी माना जाता है, जहां जंगली बिल्ली की तादाद ज्यादा है वहां का पर्यावरण न केवल स्वस्थ है, बल्कि वहां की वनस्पतियां और पारिस्थितिकी तंत्र भी मजबूत है।

संभाग में केवल 235 जंगली बिल्लियां

दो साल पूर्व वनविभाग की गणना में संभाग के जिलों में जंगली बिल्लियों की कुल संख्या 284 थी, जो इस साल घटकर मात्र 235 रह गई है। इनमें जोधपुर में 32 से घटकर 23, सिरोही में 69 से घटकर 43, पाली में 54 से घटकर 32 और जैसलमेर में 62 से घटकर संख्या 27 हो गई है। हालांकि जालोर में जंगली बिल्लियों की संख्या 67 से 104 और बाड़मेर में 5 से बढ़कर 6 तक पहुंची है।

बढ़ता जैविक दबाव

थार में लगातार विकास के कारण बढ़ता जैविक दबाव जंगली बिल्लियों की संख्या घटने का प्रमुख कारण है। इसके अलावाबिल्लियों की आकर्षक खाल के लिए भी इनका शिकार किया जाता है। विकास के नाम पर मरुस्थलीय क्षेत्रों में पेड़ों का लगातार सफाया और प्राकृतवास में मानवीय घुसपैठ भी कारण है। थार के पर्यावरणप्रेमी राधेश्याम पेमानी के अनुसार विकास की आंधी जंगली बिल्लियों सहित थार के वन्यजीवों के वजूद के लिए खतरा बन चुकी है।

जंगली बिल्ली की संख्या

जोधपुर————23

सिरोही————43

जालोर————104

पाली————–32

बाड़मेर———–06

जैसलमेर———27

कुल————-235

इनका होना जरूरी

मरुस्थलीय क्षेत्रों में मिनी तेंदुए का रोल अदा करने वाली जंगली बिल्ली का वजूद होना जरूरी है। थार के पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित करने में जंगली बिल्ली और मरु बिल्ली की भूमिका अहम है। हेल्दी पर्यावरण होने के मापदंड का प्रमुख आधार ही इनका वजूद होना है। यदि इनकी संख्या घटती है तो यह थार में पर्यावरण के असंतुलन का संकेत है।

– डॉ. श्रवण सिंह राठौड़ , वेटरनरी साइंटिस्ट भारतीय वन्य जीव संस्थान, गोडावण प्रोजेक्ट सम,रामदेवरा

Source: Jodhpur

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