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रोडवेज का बेड़े में बसों को नहीं बढ़ाने का खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है। प्रतिवर्ष करीब 5-7 फीसदी यात्री भार की बढ़ोतरी हो रही है। लेकिन डिपो स्तर पर बसों को नहीं बढ़ाया जा रहा है। बड़े शहरों के डिपो को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश में आज भी पांच साल पहले जो बसों का बेड़ा था, वह आंकड़ा आज भी वैसा ही चल रहा है।
यात्रियों की लगातार बढ़ती संख्या को रोडवेज की ओर से अनदेखी की जा रही है। इसका असर यह हो रहा है कि यात्री डायवर्ट होते जा रहे हैं और मजबूरी में निजी की शरण ले रहे हैं। जबकि रोडवेज की यात्रा प्राथमिकता में होती है। सबसे बड़ा असर प्रतियोगी परीक्षाओं के दौरान होता है। बड़ी परीक्षाओं में डिपो से हजारों की संख्या में तीन-चार दिनों में अभ्यर्थी यात्रा करते है। इस स्थिति में रोडवेज के पास कोई विकल्प नहीं होता है कि सामान्य यात्रियों को भी टिकट मिल पाए। इस स्थिति को देखते हुए बसों के बेड़े को बढ़ाने पर अन्य यात्रियों को बड़ी राहत मिल सकती है।
परीक्षाओं के दिन आम यात्रियों पर भारी
किसी भी बड़ी प्रतियोगी परीक्षा के दौरान कुछ दिनों के लिए रोडवेज सामान्य यात्रियों से दूर हो जाती है। सभी तरह के शै्यूअल निरस्त कर दिए जाते हैं और यहां तक कि रिजर्वेशन तक कैंसिंल किए गए। पिछले महीनों संपन्न हो चुकी परीक्षाओं के दौरान ऐसा सैकड़ों यात्रियों के साथ हुआ था।
बाड़मेर में पांच साल में नहीं बढ़ी बसें
स्थानीय डिपो में पिछले पांच सालों में बसों का बेड़ा नहीं बढ़ा है। साल 2018 में यहां 77 बसें संचालित हो रही थी। जबकि वर्तमान में डिपो से 72 बसें चलती है। पांच साल में बढऩे की बजाय और कम हो गई। बस कंडम होने पर उसकी जगह दूसरी आ जाती है। लेकिन बेड़े को बढ़ाने के कोई प्रयास कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। जबकि डिपो का यात्री भार पिछले पांच सालों में प्रतिवर्ष 5-7 फीसदी बढ़ा है और परीक्षाओं के कारण इसमें लगातार इजाफा भी हो रहा है।
डिपो से 72 बसों का नियमित संचालन
बाड़मेर डिपो से 72 बसों का नियमित संचालन किया जा रहा है। इसमें 39 बसें अनुबंधित है। वहीं 7 बसें स्लीपर श्रेणी की है। यात्रियों को सुविधा देने के लिए प्रयास लगातार किए जाते हैं।
-उमेश नागर, मुख्य प्रबंधक बाड़मेर आगार
बाड़मेर डिपो एक नजर
2018- 77 बसें
2022- 72 बसें
39 बसें अनुबंधित
07 बसें स्लीपर
65 बसें 3 गुणा 2

Source: Barmer News

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