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जोधपुर।
मारवाड़ के किसान अब परम्परागत खेती के अलावा नवाचार कर अपना जीवन स्तर सुधार रहे है। इसमें अनार भी मारवाड़ के किसानों की आय का जरिया बन रही है। राजस्थान में वर्तमान में अनार की खेती व्यापारिक तौर पर की जाने लगी है। अनार की खेती मुख्यत: मारवाड़ में की जा रही है पहले पश्चिमी राजस्थान में अनार की खेती की बात मजाक लगती थी, लेकिन आज यह किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है ।

पश्चिमी राजस्थान की शुष्क जलवायु के अनुकूल अनार की ओर किसानों का रुझान बढऩे लगा है। प्रदेश में बाड़मेर के बाद जोधपुर में भी किसानों को अनार की खेती रास आने लगी है। अनार का बगीचा लगाने के लिए अच्छा समय जुलाई और अगस्त है। अगर सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था के लिए फरवरी-मार्च में भी बगीचा लगाया जा सकता है । मानसून से पहले ही किसान पतझड़ करवाकर पौधों के पोषण की व्यवस्था कर चुके है। जिले में करीब 2 हजार से ज्यादा हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में अनार की बागवानी की गई है। प्रगतिशील किसान रतनलाल डागा ने बताया कि पश्चिमी राजस्थान में अनार की प्रसंस्करण इकाइयां लगती है तो किसानों की आय बढ़ाने में अनार का बड़ा योगदान हो सकता है। साथ ही, पश्चिमी राजस्थान अनार का बड़ा हब बन सकता है।
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पानी में क्षारीयता के कारण भी बढ़ा रुझान
जिले में भूजल के गिरते स्तर के कारण पानी की बढ़ती क्षारीयता व कम उपलब्धता इस परिस्थिति के अनुकूल होने के चलते किसानों का अनार की बागवानी की ओर रुझान बढ़ा है। अनार के पौधों में ड्रिप प्रणाली से पानी देने, अन्य फसलों की अपेक्षा कम पानी की जरुरत के चलते व हल्के क्षारीय पानी मे भी उत्पादन देने के गुण के कारण पश्चिमी राजस्थान के किसानों का रुझान अनार की ओर बढ़ा है।
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बाड़मेर-जालोर उत्पादन में टॉप पर
वर्ष 2010 से बाड़मेर जिले में अनार की खेती शुरू हुई थी। प्रदेश में अनार की खेती करीब 20 हजार हेक्टेयर में की जा रही है तथा इसका उत्पादन करीब 100 हजार मीट्रिक टन हुआ है। प्रदेश के 90 प्रतिशत क्षेत्रफल बाड़मेर और जालोर जिले में है। इन क्षेत्रों का अनार नरम बीज, भगवा रंग, काफी दिनों तक यह खराब नहीं होता है, इन्हीं गुणों के कारण यहां का अनार अन्य राज्यों की अपेक्षा अधिक गुणवत्तायुक्त है।

Source: Jodhpur

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