Posted on

जोधपुर। शहर के एक व्यापारी जब अपनी दुकान से घर की ओर लौट रहे थे तो सड़क पर अचानक लावारिस पशुओं की चपेट में आ गए। दो दिन तक अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष किया और सोमवार सुबह इस लापरवाही का शिकार हो गए। ऐसी ही लापरवाही सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद शहर में नगरीय निकाय लगातार किए जा रहे हैं। पत्रिका ने इस पर ही की है ग्राउंड रिपोर्ट…।

यह हादसा हुआ है व्यापारी शिखर सिंघवी के साथ। तीन दिन पहले वे ओलम्पिक सर्किल के समीप दुपहिया वाहन से घर की ओर जा रहे थे तभी अचानक गोवंश आने के कारण गिर गए। दो दिन तक अस्पताल में उपचार चला और उनकी मृत्यु हो गई। यह घटना कई सवाल खड़े करती है। ऐसी ही घटना शहर में किसी के भी साथ हो सकती है। लेकिन इनकी रोकथाम के लिए कोई आगे नहीं आ रहा। Nagar nigam बेसहारा पशुओं की रोकथाम के दावे तो करता है, लेकिन हकीकत में सफल नहीं होते।

क्या कहती है जनता
शहर में बेसहारा गोवंश के कारण प्रतिदिन हादसे हो रहे हैं। इसके लिए कोई गंभीर नहीं है। इस पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए।
– दीपक सोनी, अध्यक्ष, त्रिपोलिया-मोती चौक व्यापार संघ
सड़कों पर वाहन चलाने से भी डर लगता है। एक तो क्षतिग्रस्त सड़क और दूसरा इन बेसहारा गोवंश के कारण परेशानी होती है।
– जवरीलाल चौपड़ा, व्यापारी

सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पालना नहीं
शीर्ष कोर्ट ने वर्ष 2007 में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए। लेकिन राज्य सरकार, जिला प्रशासन, जोधपुर विकास प्राधिकरण और नगर निगम के अधिकारी पिछले डेढ़ दशक से केवल कागजी घोड़े ही दौड़ा रहे हैं। न मिल्कमैन कॉलोनी शहरी सीमा से बाहर शिफ्ट हुई, न ही आवारा पशुओं पर लगाम कसी जा सकी है। सुप्रीम कोर्ट ने 17 जनवरी, 2007 को डेडलाइन के साथ पशु डेयरियों को शहर से बाहर शिफ्ट करने का फरमान सुनाया था। तब बड़ली में नई मिल्कमैन कॉलोनी की योजना तैयार हुई, लेकिन एक भी पशुपालक वहां शिफ्ट नहीं हुआ। पशुपालकों ने शिफ्टिंग नहीं होने के पीछे अपनी मजबूरियां गिनाई, पर सरकारी महकमे ने सर्वसम्मत विकल्प की दिशा में कदम नहीं बढ़ाया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना को देखते हुए राजस्थान हाईकोर्ट में अवमानना याचिका भी दाखिल हुई।

बड़ली योजना परवान नहीं चढ़ी
जेडीए की ओर से पेश एक शपथ पत्र के मुताबिक जिला कलक्टर ने 28 फरवरी, 2002 को बड़ली की 2500 बीघा भूमि तत्कालीन नगर विकास न्यास को हस्तांतरित की थी। इस भूमि पर हाईकोर्ट के आदेशों की पालना में 1235 भूखंडों की नई मिल्कमैन कॉलोनी की योजना बनाई गई। कुल 494 आवेदनों में से 384 आवेदकों को भूखंड आवंटित किए गए, लेकिन केवल तीन लोगों ने ही पैसे जमा करवाए। जेडीए ने माना कि पशुपालक बड़ली नहीं जाना चाहते, बल्कि सालावास, झालामंड, बोरानाडा तथा बोरावड़ में शिफ्ट होना चाहते हैं।

इनका कहना है …
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पालना नहीं होना चिंताजनक है। हमने इस मामले को राजस्थान हाईकोर्ट के समक्ष अवमानना याचिका के माध्यम से उठाया था। न्यायपालिका शहर के लिए नासूर बन चुकी आवारा पशुओं की समस्या के लिए समय-समय पर महत्वपूर्ण निर्देश देती रही है, लेकिन नगर निगम और जेडीए के अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं। इसका खामियाजा आम जनता को उठाना पड़ रहा है।
-अशोक छंगाणी, अवमानना याचिका के अधिवक्ता

Source: Jodhpur

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *