Posted on

बाड़मेर शहर के पहाड़ी क्षेत्र में स्थित रातानाडा गणेश मंदिर आस्था का बड़ा स्थल है। करीब 77 साल पुराने मंदिर में भगवान गणेश की मिट्टी की प्रतिमा बिराजित है। सैकड़ों लोग प्रतिदिन और गणेश चतुर्थी और अन्य पर्व पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन को उमड़ते हैं।
बाड़मेर में मंदिरों का इतिहास रहा है। जिसमें गणेश मंदिर रातानाडा का नाम भी प्रमुख है। मंदिर से श्रद्धालुओं की आस्था की डोर मजबूती से जुड़ी हुई है। बुधवार को यहां सैकड़ों लोग दर्शन को पहुंचते हैं। पहाड़ी क्षेत्र में मंदिर होने के कारण यहां की प्राकृतिक छटा भी निराली नजर आती है।
मिट्टी की प्रतिमा बिराजित
मंदिर के पुजारी मोफतलाल दवे बताते हैं कि यहां पर बिराजित प्रतिमा मिट्टी से निर्मित है। यह प्रतिमा हस्तनिर्मित है। गणेश मंदिर की स्थापना पर ही प्रतिमा का निर्माण करवाया गया था। विक्रम सम्वत 2002 भाद्रपद सुदी गणेश चतुर्थी को ही मंदिर की प्रतिष्ठा हुई थी। पिछले 77 सालों से उनका परिवार यहां पर नियमित रूप से पूजन कर रहा है।
मंदिर प्रतिष्ठा में इनका रहा था योगदान
मंदिर के पुजारी दवे के अनुसार मंदिर में मिट्टी की प्रतिमा बिराजित करने के साथ रातानाडा गणेश मंदिर की स्थापना में कई प्रबुद्धजनों का बड़ा योगदान रहा है। इसमें मगजी महाराज (श्रीमाली), ईश्वरलाल अवस्थी, दामोदर अवस्थी, रामचंद्र गार्ड, मिश्रीलाल व्यास, कालूराम पानवाले, मदन घी वाले व श्रीकिशन दवे सहित कुछ अन्य प्रबुद्धजन मंदिर प्रतिष्ठा कार्य में प्रमुख रूप से शामिल रहे थे।
1991 में मंदिर को बनाया भव्य
गणेश मंदिर की स्थापना के बाद दो बार पुनरुद्धार किया गया है। पहली बार साल 2008 तथा 1991 में मंदिर को भव्य रूप दिया गया। इसमें पूर्व विधायक तगाराम सहित शहर के कई श्रद्धालुओं का सहयोग रहा। पुजारी दवे बताते हैं कि मंदिर के सहयोग के लिए यहां के श्रद्धालु हमेशा आगे रहे हैं।
पर्यावरण पहल की 77 साल पहले हुई थी पहल
गणेश मंदिर में बिराजित भगवान गणपति की प्रतिमा मिट्टी से निर्मित है। यह बात इसका प्रमाण है कि पर्यावरण संरक्षण की पहल यहां 77 साल पहले ही हो चुकी थी। अब हम सभी मिट्टी की प्रतिमा बनाने को प्रेरित करते हैं, लेकिन उस वक्त भी प्रबुद्धजनों ने पर्यावरण को समझते हुए यहां पर मिट्टी से बनी हस्तनिर्मित प्रतिमा को प्रतिष्ठित किया था। यह प्रबुद्धजनों की पर्यावरण को लेकर इतने सालों पूर्व की गई पहल का बड़ा उदाहरण प्रस्तुत करती है।
पिछले 40 साल से कर रहा हूं पूजन
मंदिर की प्रतिष्ठा के साथ ही पिता मगजी महाराज यहां पूजा करते थे। इसके बाद पिछले 40 साल से मैं पूजा कर रहा हूं। मंदिर की नियमित साफ-सफाई के अलावा आरती और पूजन में पूरा परिवार सहयोग करता है। यहां पर गणेश चतुर्थी का सबसे बड़ा आयोजन होता है। श्रद्धालुओं की मंदिर में बड़ी आस्था है।
-मोफतलाल दवे, पुजारी गणेश मंदिर रातानाडा बाड़मेर

Source: Barmer News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *