जोधपुर।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (Anti curruption Bureau) (ACB) (एसीबी) ने एक एफआइआर (FIR) में एफआर (FR) लगाने या मदद करने की एवज में 80 हजार रुपए रिश्वत मांगने पर जालोर जिले के सायला थानाधिकारी बद्रीप्रसाद और एएसआइ छतराराम के खिलाफ एफआइआर दर्ज की है। ब्यूरो की सिरोही चौकी प्रभारी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ओमप्रकाश चौधरी को 45 दिन में जांच पूरी करने के आदेश दिए गए हैं। (Bribe deemand : FIR registered against SHO and ASI)
एसीबी की विशेष विंग के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक दुर्गसिंह ने बताया कि जालोर जिले में सायला तहसील के चौराऊ गांव निवासी मोडसिंह पुत्र खुशाल सिंह के परिवाद के आधार पर जैसलमेर में तेजमालता निवासी पुलिस निरीक्षक व जालोर में सायला थानाधिकारी बद्रीप्रसाद पुत्र भंवरूराम और रानीवाड़ा थानान्तर्गत मोंग निवासी एएसआइ छतराराम पुत्र रतनाराम के खिलाफ अस्सी हजार रुपए रिश्वत मांगने का मामला दर्ज किया गया है। गोपनीय सत्यापन के दौरान वॉइस रिकॉर्डिंग में रिश्वत मांगने की पुष्टि होने पर ब्यूरो के जयपुर मुख्यालय में दोनों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
यह है मामला
परिवादी मोडसिंह ने गत 2 मई को एसीबी की विशेष विंग कार्यालय में लिखित शिकायत दी थी। उसका आरोप है कि चौराऊ गांव में पिता का पुश्तैनी भूखण्ड है। 2014 में पिता का निधन हो गया था। पंचायत समिति सायला ने वर्ष 2019 में मां के नाम पट्टा जारी किया था। फिर उन्होंने पुत्रवधू को बेचान कर दिया था। इस बीच, 23 जून 2021 को बलवंतसिंह ने मोडसिंह, सरपंच व अन्य के खिलाफ सायला थाने में एफआइआर दर्ज कराई थी। जांच एएसआइ छतराराम के पास है। इस मामले में गत वर्ष 3 अगस्त को हाईकोर्ट से गिरफ्तारी पर रोक लगा दी गई थी। इस मामले में एफआर लगाने के बदले परिवादी से एक लाख रुपए रिश्वत मांगी जाने लगी थी। ऐसा न करने पर चालान पेश करने को धमकाया जा रहा था। इस शिकायत पर एसीबी ने गोपनीय सत्यापन कराया तो थानाधिकारी बद्रीप्रसाद व एएसआइ छतराराम के अस्सी हजार रुपए रिश्वत मांगने की पुष्टि हुई थी।
ग्रामीणों ने पुलिस को सूचित कार्रवाई से बचाया
सत्यापन में रिश्वत मांगने की पुष्टि होने पर ट्रैप कार्रवाई की योजना बनाई गई। ब्यूरो के निरीक्षक मनीष वैष्णव के नेतृत्व में टीम गत माह सायला पहुंची। परिवादी को थाने भेजा गया, लेकिन एएसआइ ने पहले भूखण्ड और फिर खेत आने का बता वापस भेज दिया था। खेत पर ट्रैप कार्रवाइ्र के दौरान ग्रामीणों को अंदेशा हो गया था। उन्होंने पुलिस को सूचित कर दिया था। पुलिस मौक पर पहुंची और एसीबी को थाने ले जाने लगी, लेकिन ब्यूरो निरीक्षक व अन्य ने परिचय पत्र दिखाया तब पुलिस थाने लौटी थी। इसके बाद थानाधिकारी व एएसआइ सतर्क हो गए थे।
Source: Jodhpur