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हाकिम…हुकम करो… बड़ी योजनाएं है या फिर वही ढाक के तीन पात
मैं जैसलमेर बोल रहा हूं..
जैसलमेर पत्रिका.
मैं जैसलमेर बोल रहा हूं…..। मेरा नाम संसार भर में है। कोई देश कोई सी भी भाषा बोले लेकिन वह मेरे (जैसलमेर ) स्रद्मह्य जानता है। जब यहां आता है तो वह अपने देश में जाकर अपनी जुबान में बताता है कि उसने भारत आकर मुझमेंं क्या देखा? उसकी आंखों की चमक कहती है कि मेरी अद्भुत हवेलियां, आकर्षक नक्काशी, दिल छूने वाला माहौल और रेत के समंदर में असीम शांति पाई है। उसने लोक कला और गायकी की भाषा भले ही नहीं समझी हों लेकिन मेरी लय, ताल और सुर उसके कानों में ऐसी मिश्री घोल गए है कि वो अपनी जुबान में आवोनी पधारो म्हारे देस गुनगुनाने को मजबूर है। मेरी भाषा यदि विदेशी सैलानी समझ गए तो फिर प्रशासन, नगरपरिषद और पर्यटन महकमा क्यों नहीं समझ रहे। ये तो मेरे अपने है। जानते है कि मुझे क्या चाहिए? स्वच्छता, मेरी पहली जरूरत है। पर्यटन की जो भी नगरी है और जहां प्रशासन जागरुक है, जाकर देखिए। कहीं अस्वच्छता का नहीं है? लोगों की आदत में स्वच्छता को ऐसे शुमार कर लिया गया है कि वे अनुशासित हो चुके है। यह कहकर कि लोग ध्यान नहीं देते, खुद की गलती को ढांकना है। स्वच्छ जैसलमेर का नारा लेकर लगातार सख्ती बरती जाए और संसाधनों व मैनपॉवर का सही इस्तेमाल हों तो मैं इतना बड़ा शहर नहीं कि इंतजाम हो न सके, जरूरी है दिल से काम करने की। सुधार तक होगा जब मैने पहले ही कहा है कि हाकिम(कलक्टर)मन से सक्रिय होगा। जो भी हाकिम यहां आता है वह यहां के पर्यटन को विकास की बातें बढ़चढ़कर करेगा। दो-पांच बार शहर में चक्कर लगाएगा और उसके इर्दगिर्द अफसरों की फौज हांजी…हांजी करती नजर आएगी। ऐसा जताया जाएगा कि कल से मेरा स्वरूप ऐसा होगा जैसा सोचा नहीं है। कागजों में योजनाएं उकेरी जाएगी और उनकी बड़ी-बड़ी बातें सुर्खियों में आएगी। उन पर फिर एक माहौल तैयार होगा। यह मसला ऐसा ही होता है जैसा एक बीमार को चार केले बांटकर बड़े फोटो प्रकाशित करवाकर खुद को दानवीर साबित करना। मैं चाहता हूं ऐसा कत्तई नहीं करे। ये बार-बार मेरे साथ जो मजाक किया जा रहा है, मुझे कत्तई बर्दाश्त नहीं है और मेरे यहां रहने वाले मेरे लोगों को भी नहीं? वे दो टूक कहते है कि करना-धरना कुछ नहीं है, केवल बातों का ब्याळू(भोजन) है। हाकिम…यदि बड़ी योजना है तो हाथ में लेकर पर्यटन सीजन से पहले शुरू हो जाएं। कोरोना के काल बाद यह साल बहुत महत्वपूर्ण है मेरे लिए। मैं शानो-शौकत के साथ कहना चाहता हूं कि आवोनी पधारो म्हारे देस और यदि ढाक के वही तीन पात है तो फिर बात का बतंगड़ बनाना बंद करो….।

Source: Barmer News

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