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जोधपुर. राजस्थान सरकार के देवस्थान विभाग के अधीन धर्मशालाओं का संचालन अब निजी हाथों में सौंपा जाने लगा है। इसका मुख्य कारण देवस्थान विभाग में विभागीय कार्मिकों की अपर्याप्तता तथा समयानुसार बेहतर प्रबंधन का ना होना बताया गया है। ऐसे में जोधपुर की 117 साल पुरानी हेरिटेज सराय में 30 रुपए में मिलने वाला कमरा भी महंगा होने वाला है।

गरीबों के रुकने का प्रमुख स्थान है सराय

इस हेरिटेज सराय में कई गरीब तबके के लोग आकर रुकते हैं। इनको ग्राउंड फ्लोर के कमरे 30 रुपए, प्रथम तल पर 300 रुपए में कमरा मिल जाता है। यह अन्य धर्मशालाओं व होटलों की तुलना में काफी कम कीमत है, लेकिन अब यह निजी हाथों में जाने से यह किराया महंगा हो सकता है।

117 साल पहले बनी जसवंत सराय

तत्कालीन जोधपुर महाराजा जसवन्तसिंह द्वितीय की रानी राजकंवर जाड़ेचीजी जामनगर ने सन 1905 में राजरणछोड़जी का मन्दिर बनाया, तब मन्दिर के करीब एक विशाल सराय का भी निर्माण कराया था। यह आज जसवंत सराय के नाम से जानी जाती है। दरअसल यह सराय जोधपुर में उपचार के लिए आने वाले आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए न्यूनतम नाममात्र दर पर ठहरने के लिए बनवाई गई थी। वर्तमान में राजरणछोड़दास मन्दिर और सराय देवस्थान विभाग के अधीन है।

सरकार की नई नीति

देवस्थान विभाग की नई धर्मशाला नीति पूरे प्रदेश में लागू की गई है। उसी के अनुसार जोधपुर की प्राचीन जसवंत सराय को भी 15 साल के लिए लीज पर 36 लाख 9 हजार वार्षिक दर पर दी गई है। विभाग के अधीन सराय से पहले सालाना 20 से 22 लाख तक वार्षिक आय होती थी, इसमें विभाग का स्टाफ, बिजली पानी का खर्च अलग से होता था। अब लीज पर देने के बाद विभाग की आय में भी बढ़ोतरी होगी। –

जतिन गांधी, सहायक आयुक्त देवस्थान विभाग, जोधपुर

Source: Jodhpur

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