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बाड़मेर. जिला मुख्यालय बाड़मेर से करीब सत्रह किलोमीटर दूर गरल गांव की सरहद में धोरों में आबाद एक ढाणी में पुस्तकालय है, जिसमें 1130 पुस्तकों व करीब दो हजार पत्र पत्रिकाओं का संग्रह है। शिक्षक जोगाराम सारण की धुन के चलते आबाद हुआ यह पुस्तकालय अपने आप में अनूठी मिसाल है। सारण ने इस पुस्तकालय को श्री किसान शोध संस्थान लाइब्रेरी गरल बाड़मेर नाम दिया है। पुस्तकालय की पुस्तकें पठन-लेखन में रूचि रखने वालों को वह अपने स्तर पर नि:शुल्क उपलब्ध करवाते हैं और पठन पश्चात पुन: लाइब्रेरी में जमा कर देते हैं।

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पुस्तकों के लिए बनाया कमरा

पठन-लेखन में रूचि रखने वाले जोगाराम पेशे से शिक्षक है और अपने खेत में बनी ढाणी में रहते हैं। अध्यापन के साथ-साथ अतिरिक्त समय में वह खेती-बाड़ी व पशुपालन का काम भी करते हैं। कृषि व नौकरी से होने वाली आय से उन्होंने अपनी ढाणी में पुस्तकों के रखरखाव के लिए अलग से एक कमरा बनवाया है। इस कमरे में सभी पुस्तकें संभालकर रखी हुई है।

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1999 में खरीदी पहली पुस्तक

जोगाराम बताते हैं कि उन्होंने पाठ्यक्रम के अतिरिक्त पहली पुस्तक वर्ष 1999 में खरीदी। इतिहास से जुड़ी इस पुस्तक को पढऩे के बाद उनका पुस्तकों से लगाव हो गया और वह निरंतर पुस्तकें खरीदते रहे। आज उनके पास 1130 पुस्तकों का संग्रह हो गया है। संग्रहित पुस्तकों में इतिहास की 520, राजस्थानी साहित्य की 330, राजनीति विज्ञान की 40, मारवाड़ के इतिहास से संबंधित 40, उपन्यास, कहानी संग्रह व हिन्दी साहित्य से संबंधित 111, बाल साहित्य की 29 व बाड़मेर जिले से संबंधित 40 पुस्तकें है।

11 पुस्तकों का लेखन

पुस्तकों से लगाव ने शिक्षक जोगाराम की लेखन में रूचि पैदा की। वह अब तक 11 पुस्तकों का लेखन कर चुके हैं। वहीं एक दर्जन से अधिक स्मारिकाओं का सम्पादन किया है। उनके लिखे आलेख राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। सारण के पुस्तकालय में बाड़मेर के लेखकों की पुस्तकों को विशेष रूप से शामिल किया गया है।

ढाणी में पुस्तकालय बनाने की कोई पूर्व निर्धारित योजना तो कभी नहीं थी, लेकिन पुस्तकों से लगाव के चलते पुस्तकों का अच्छा खासा संग्रह हो गया। इसलिए अलग से कमरा बनाकर पुस्तकालय ही बना दिया ताकि पुस्तकों का बेहतर रखरखाव हो सके और पुस्तकों में रूचि रखने वालों के पुस्तकें काम आ सके। मेरे विद्यार्थी व पुस्तकों में रूचि रखने वाले पाठक पुस्तकालय से पुस्तकें लेते हैं तो मुझे आत्मसंतुष्टि मिलती है। -जोगाराम सारण

Source: Barmer News

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