रतन दवे
अंकलेश्वर गुजरात.
गुजरात की 15 फीसदी आबादी एसटी(आदिवासी) है जो 182 में से 27 सीटों पर वजूद रखती है। कांगे्रस का ऐसा परंपरागत वोट बैंक है जो सत्ता के ढाई दशक गुजारने के बावजूद भी भाजपा की ओर नहीं झुका। 2017 के चुनावों में आदिवासियों के खांटी नेता और छह बार विधायक रहे छोटू बसावा ने भारतीय ट्राइबल पार्टी नए दल का गठन कर दक्षिण गुजरात सहित अपने प्रभाव की सीटों पर इनको पंजे से बाहर निकालकर पार्टी के सिम्बल टेम्पों में चढ़ाया और दो सीट जीत ली। बदलाव की इस बयार बाद अब भाजपा और आम आदमी पार्टी दोनों ही आदिवासियों के वोटों में सेंध लगाने का पूरा जोर लगा रही है। दिलचस्प यह भी है कि छोटू बसावा और उनके बेटे महेश बसावा दोनों ने ही इस बार नामांकन दाखिल कर लिया है। महेश बीटीपी से है और छोटे बसावा ने निर्दलीय। आदिवासी वोटर्स को तोडऩे और जोडऩे का यह खेल गुजरात में इस बार सबसे दिलचस्प बनता जा रहा है। दीगर रहे कि राजस्थान में भी 2018 में बीटीपी ने 11 उम्मीदवार आदिवासी क्षेत्र में मैदान में उतारे इसमें से 02 चौरासी व सगवाड़ा में जीते है। आदिवासियों के संगठित होकर वोट करने का बेमिसाल उदाहरण है दक्षिण गुजरात का इलाका। तापी, नर्मदा में पिछले चुनावों में भाजपा खाता नहीं खोल पाई। डांग में 95, तापी में 84, नर्मदा में 82, दाहोद में 74 फीसदी आदिवासी है तो वलाड़, नवासरी, भरूच, पंचमहाल, वडोदरा, सागरकांठा, बंसवाड़ा, अंबाजी, छोटा उदयपुर सहित पूरे इलाके में आदिवासियों की बहुलता है। ये एक साथ कांग्रेस को वोट करते रहे है और भाजपा के तमाम प्रयासों विफल रहे। 2017 में यहां एक बदलाव आया और आदिवासी नेता छोटू बसावा ने भारतीय ट्रिबूनल पार्टी का गठन कर आदिवासी वोटों को कांग्रेस से निकाला और ये अपनी पार्टी के साथ जुड़ गए। गुजरात में दो सीट झगडिय़ा और डेडियापाड़ा दोनों पिता-पुत्र जीते और अन्य सीटों पर टक्कर में उतरे। कांग्रेस के लिए यह बड़ा झटका बना तो भाजपा और आम आदमी के लिए उम्मीद। नतीजा इन चुनावों में तीनों ही दल और बीटीपी अब आदिवासी वोटों को जोडऩे-तोडऩे के तमाम गणित लगाने में है।
जोड़-तोड़ का दिलचस्प पहलू
छह बार विधायक रहे छोटू बसावा आदिवासियों क बड़े लीडर है। बंसवाड़ा, बसानकांठा, अंबाजी, दाहोद, छोटा उदयपुर, पंचमहल, नर्मदा ही नहीं राजस्थान के बांसवाड़ा, उदयपुर और सिरोही में छोटू बसावा का प्रभाव है। छोटू बसावा जहां आदिवासियों को जोडऩे में लगे है इस बार उनके बेटे महेश बसावा ने बीटीपी के उम्मीदवार के तौर पर झगडिय़ा से पर्चा दाखिल कर लिया है। छोटू बसावा ने भी निर्दलीय नामांकन किया है, पिता पुत्र दोनों का एक ही जगह से नामांकन भरना चर्चा में है।
भाजपा- आम आदमी लगा रहे जोर
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दाहोद में सभा कर आदिवासियों को भाजप की ओर खींचने का संकेत दिया। उन्होंने यहां आदिवासी नेता बिस्सा मुण्डा सहित अन्य को याद किया और आदिवासी कल्याण की बात कही। इधर, आम आदमी पार्टी छोटू बसावा को जोडऩे ेके तमाम जतन में है और आदिवासियों को संविधान की पांचवीं अनुसूचि में जोडऩे का वादा किया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी क्षेत्र का दौरा किया है।
Source: Barmer News