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वन एवं पर्यावरण मंत्री हेमाराम चौधरी ने कहा कि 25 सितम्बर की घटना के बारे में पूरे देश को पता है है। प्रदेश प्रभारी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी महासचिव अजय माकन ने उस घटना के बारे में रिपोर्ट पार्टी नेतृत्व को दे दी। वेणुगोपाल ने दो दिन के अन्दर उस घटना के बारे में निर्णय के बारे में कहा। इतने समय बीतने बाद भी उस घटना का निर्णय नहीं हुआ । जिससे प्रदेश व पूरे देश में एक अनिश्चिता का वातावरण बना हुआ है। इसे खत्म करना जरूरी है और यह पार्टी के हित में है। 2023 के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर तत्काल निर्णय किया जाए। अब तक देरी से भी नुकसान हुआ है। हमारा जो लक्ष्य 2023 के विधानसभा चुनावों में फिर से कांग्रेसी की सरकार बनाने का है। निर्णय में देरी हुई तो उसे हासिल नहीं कर पाएंगे।
बाड़मेर में शनिवार शाम को मीडिया से रूबरू होते वनमंत्री ने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा कई प्रदेशों से गुजर चुकी है और दिसम्बर के पहले सप्ताह में राजस्थान में भी प्रवेश करेगी। उससे पहले निर्णय हो जाता है तो भारत जोड़ो यात्रा पर उसका असर नहीं पड़ेगा। नहीं तो उस पर भी असर पड़ सकता है। उस मामले में निर्णय नहीं होने से अजय माकन खुद कितने दुखी है उन्होंने भी ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष को राजस्थान के प्रभार से मुक्त होने के लिए पत्र लिखा है, तो संगठन की क्या स्थिति होगी।
ओबीसी आरक्षण पर यह बोले
ओबीसी आरक्षण को लेकर परिपत्र जारी हुआ उससे यह विसंगति पैदा हुई। पूर्व सैनिकों को 12.5 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान पहले भी तो अब भी है। लेकिन इस प्रतिपत्र के जारी होने से ओबीसी का कोटा कम हो गया। मेरे विभाग में वन रक्षक की भर्ती निकली, उसमें ओबीसी का कोटा जीरो है। उसमें एक भी पोस्ट नहीं। तो उस विसंगति को तत्काल दूर किया जाए। उस विसंगति को दूर करने के लिए केबिनेट में प्रस्ताव भी आ गया था। अभी भर्तियां हो रही है तो उससे पहले निर्णय हो तो ओबीसी को लाभ होगा।
हाईकमान को विचार की जरूरत
धर्मेन्द्र राठौड़ को अनुशासन हीनता के लिए नोटिस दिया गया। उन्होंने उस नोटिस का जवाब दिया। उस नोटिस पर निर्णय नहीं हुआ और फिर भी उनको भारत जोड़ा़े यात्रा में राजस्थान की जिम्मेदारी सौंपना कहां तक उचित है। हाईकमान को इस पर विचार करने की जरूरत है। मैं किसी के भविष्य के बारे में नहीं कह सकता हूं। किसका भविष्य कैसा है अशोक गहलोत का भविष्य कैसा है सचिन पायलट का कैसा है हमारा कैसा है।
जब कहे तब छोड़ दूं पद
एक बार पार्टी ने मुझे चुनाव लडऩे का निर्देश दिया ही नहीं तो मैं चुनाव लड़ा ही नहीं। पार्टी जो भी निर्देश देती है। उसके अनुसार काम करता हूं। मैं मंत्री रहु या नहीं,ं उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। कहे तो आज मैं मंत्री पद छोडऩे के लिए तैयार हूं। मैने पूर्व में भी मंत्री पद से इस्तीफा दिया। अभी जो स्थिति है उसमें हम पार्टी में मंत्री पद पर बैठे रहेंगे और फिर चुनावों में हम परिणाम नहीं ला पाएंगे तो मेरा मंत्री रहना भी फिजूल है।

Source: Barmer News

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