Posted on

जोधपुर।

पश्चिमी राजस्थान जीरा, बाजारा, मिर्च व मूंगफली उत्पादन में वैश्विक पहचान व अनार के नवाचार के बाद अब अंजीर जैसी बागवानी फसलों में भी अग्रणी होने को तैयार है। मारवाड़ में कैलिफोर्निया की डायना वैरायटी की अंजीर टिश्यू कल्चर से पैदा की जा रही है। यहां की शुष्क जलवायु के अनुकूल पाए जाने पर अंजीर की खेती से किसानों को अच्छे परिणाम मिल रहे है। जिले के किसानों का परम्परागत फसलों के साथ बागवानी फसलों में भी लगातार रुझान बढ रहा है। यहां अधिकांश खेती जैविक तरीके से तैयार की जा रही है।

जोधपुर-बाड़मेर जिलों में प्रमुखता से हो रही

मारवाड़ में करीब 40 हेक्टेयर में अंजीर की खेती हो रही है। जिले में जोधपुर-बाड़मेर जिलों में अंजीर की अच्छी खेती हो रही है। जिनमें फलोदी, कलाउ, कनोडिया पुरोहितान, पलीना, बुड़किया, देचू, उठवालिया, चांदसमा, बिरलोका आदि क्षेत्रों में हो रही है।

एक हैक्टेयर में 16 लाख की पैदावार
अंजीर का पौधा नौ माह बाद फल देना शुरू करता है। पहले साल में एक पौधे से 5 किलो, दूसरे साल में 10-12 किलो, तीसरे साल में 15-20 किलो व अधिकतम 25-20 किलो फल मिलते है। एक पौधा अगर करीब 20 किलो पैदावार दे तो एक हैक्टेयर में एक हजार पौधों से करीब 10 लाख रुपए की पैदावार होती है।

जंगली पौधा, कम पानी की जरुरत
– अंजीर का पौधा जंगली पौधा है, जिसको जानवर नुकसान नहीं पहुंचाते है।

– यह रेगिस्तानी, बंजर, रेतीली जमीन व उच्च व तापमान में आसानी से उग सकता है।
– अंजीर की खेती में कम पानी की जरुरत है। सर्दी में प्रतिदिन 5 लीटर व गर्मी में प्रतिदिन 10-15 लीटर पानी में आसानी से उग जाती है।

– पूर्ण रूप से ऑर्गेनिक खेती हो सकती है, ज्यादा पेस्टीसाइट की जरुरत नहीं है।

कम जल, उच्च तापमान व अन्य मौसमी कारकों के अनुकूल होने के कारण यह फसल अच्छे परिणाम दे रही है। किसानों का भी अब रुझान बढ़ रहा है।
समन्दरसिंह उठवालिया

अंजीर उत्पादक किसान

Source: Jodhpur

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *