दिलीप दवे. बाड़मेर. नो बैग-डे पर बच्चों का ज्ञान बढ़े इसलिए सरकार ने ज्ञानवर्धन किताबें बांटने के आदेश तो दे दिए लेकिन इसकी पालना कैसे होगी यह स्कूल प्रबंधन को समझ में नहीं आ रहा। प्रदेश के माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में से मात्र 25 फीसदी में ही पुस्तकालयाध्यक्ष का पद स्वीकृत है। स्वीकृत पदों में से भी 45 फीसदी पद रिक्त है। ऐसे में लाइब्रेरी का कौन तो ताला खोले और कौन पुस्तकें बांटे, यह तय नहीं हो रहा। हालांकि विद्यालयों में एक शिक्षक को लाइब्रेरी का जिम्मा तो दिया गया है लेकिन शिक्षण के अतिरिक्त उक्त शिक्षक लाइब्रेरी को समय नहीं दे पा रहे। ऐसे में हर विद्यार्थी को पुस्तकें देना, रजिस्टर संधारण करना और पुन: पुस्तकें जमा करना उनके लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है।
प्रदेश में वर्तमान में उच्च माध्यमिक विद्यालय 17276 है। इनमें पुस्तकालय भी बने हुए हैं। इन पुस्तकालयों में पूर्व में किताबें खरीदने का बजट आता था जबकि वर्तमान में सरकार की ओर से पुस्तकें खरीद कर दी जा रही है। वहीं, प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पुस्तकों को खरीदने का बजट आता है। पुस्तकालय की स्थापना के पीछे सरकार की मंशा विद्यार्थियों को शिक्षण कार्य में सहायक पुस्तकें देना तो ज्ञानवर्धन किताबें देकर उनके ज्ञान का विकसित करना है। हालांकि उच्च माध्यमिक विद्यालयों में पुस्तकालयाध्यक्ष का पद नहीं होने से किताबों पर गर्द जम रही है तो उच्च प्राथमिक स्तर पर पद ही नहीं है। अब सरकार ने हर सप्ताह शनिवार को नो बैग डे घोषित किया है। इसमें अलग-अलग गतिविधियां होनी है जिसमें किताबें बांटने के आदेश भी है लेकिन लाइब्रेरियन के पद रिक्त होने व स्वीकृत नहीं होने से पुस्तकें कौन बांटेगा, रिकॉर्ड संधारण कौन करेगा इसकी चिंता विद्यालय प्रबंधन को हो रही है।
जिले में आधे पद खाली जिले में केवल 168 लाइब्रेरियन के पद ही है। स्वीकृत में से भी केवल 88 कार्यरत व 80 पद रिक्त है। जबकि जिले में वर्तमान में 4812 विद्यालय हैं जिसमें से उच्च माध्यमिक की तादाद एक हजार से भी अधिक है।
75 फीसदी विद्यालयों में नहीं लाइब्रेरियन प्रदेश में वर्तमान 17276 उमावि है। इसमें लाइब्रेरियन के पद 4297 ही स्वीकृत है। प्रदेश के 25 फीसदी विद्यालयों में ही स्वीकृत लाइब्रेरियन के पद स्वीकृत है। स्वीकृत पदों में भी केवल 55 फ़ीसदी पदों पर कार्यरत है, जबकि 45 फीसदी पद रिक्त चल रहे हैं।
पद रिक्तता से बढ़ेगी परेशानी- पद रिक्तता की स्थिति के चलते आदेश को लागू करने में परेशानी होगी। पुस्तकालयाध्यक्ष का पद खाली होने से किताबें बांटने में समस्या आ रही है। अब तो हर सप्ताह किताबें देना और लेना है जिसके लिए एक लाइब्रेरियन होना जरूरी है। सरकार पुस्तकालयाध्यक्ष का पद स्वीकृत करें और रिक्त पद भरे। – बसंतकुमार जांणी, जिलाध्यक्ष राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ रेस्टा
बेहतर व्यवस्था के प्रयास-पदरिक्तता और पद स्वीकृति का मामला तो राज्य स्तर का है। हमने लाइब्रेरी के रख रखाव का जिम्मा हर विद्यालय में एक शिक्षक को दे दिया है। बेहतर व्यवस्था का प्रयास रहेगा।- राजन शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक शिक्षा बाड़मेर
Source: Barmer News