जोधपुर।
जोधपुर जिले में गत दो माह में 42 लोग गैस सिलेण्डर हादसों में जान गंवा चुके हैं और अभी भी कई घायल जिन्दगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं। सरकार की ओर से उपभोक्ताओं के हित में बनाए गए नियमों को दरकिनार कर शहर में घरेलू गैस सिलेंडर का व्यवासायिक उपयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है। इसके बाद भी अधिकारियों की ओर से इस पर रोक लगाने के लिए कोई पहल नहीं की जा रही है।
शहर के किसी भी होटल, ढांबों, ठेलों, रेस्त्रां और दुकनों में व्यवासायिक के बजाए घरेलू रसोई गैस सिलेंडर लगे हुए नजर आ रहे हैं। विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के कारण ही कारोबारी व्यवसायिक सिलेंडरों का उपयोग करना नहीं चाहते हैं। घरेलू गैस का उपयोग होने के कारण गैस की कालाबाजारी करने वाले भी सक्रिय हैं। व्यवसायिक कार्यों में घरेलू गैस का उपयोग ज्यादा होने के कारण आम उपभोक्ताओं को समय पर सिलेंडर नहीं मिल पा रहे है।
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रीफिलिंग के कारोबार पर नहीं अंकुश
रसोई गैस का न केवल व्यवसायिक उपयोग हो रहा है बल्कि इसकी रीफिलिंग की प्रक्रिया भी कई जगह चल रही है। इस कारण दुर्घटना घटित होने की आशंका रहने लगी है। कालाबाजारी व रीफिलिंग का अवैध कारोबार मिलीभगत से हो रहा है। खुले बाजार में बिकने वाले छोटे साइज के एलपीजी सिलेंडर पूरी तरह अवैध हैं, ऐसे सिलेंडरों का इस्तेमाल एलपीजी की रीफिलिंग के लिए नहीं किया जा सकता है। ऐसा करने वाले पर कानूनी कार्रवाई का प्रावधान भी है। लेकिन कार्रवाई किसी पर भी नहीं हो रही है। जिससे अवैध कारोबार लगातार चल रहा है।
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इतनी मौतों पर भी कार्रवाई नहीं
– जोधपुर के माता का थान में कीर्ति नगर में गत 8 अक्टूबर को एक मकान में अवैध रूप से गैस सिलेंडर में गैस भरने कार्य हो रहा था, तब लीकेज हो गया और आग लग गई, जिससे पास ही रखे सिलेंडर चपेेेेट में आ गए और आठ सिलेंडरों में विस्फोट हो गया। इस घटना में दस लोगों की मौत हो गई।
– इसी प्रकार, हाल ही में शेरगढ़ के भूंगरा गांव में एक विवाह वाले घर में भी गैस हादसे में अब तक 32 लोगों की जान जा चुकी है।
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गैस सिलेण्डर की रीफिलिंग भी आम बात
बड़े होटलों ओर ढाबों में खुलेआम घरेलू गैस का दुरुपयोग बंद नहीं हो पा रहा है। घरेलू गैस का दुरुपयोग रोकने के लिए खाद्य आपूर्ति विभाग की ओर से गंभीर कार्रवाई नहीं की जा रही है। ऐसे में जहां गैस एंजेंसियों के कॉमर्शियल सिलेंडर बिकने कम हो गए हैं। कई होटलों और ढाबों में घरेलू गैस सिलेंडर को कॉमर्शियल गैस सिलेंडर में भी पलटने का काम चल रहा है, जिससे दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। हालात ये हैं कि अब भी सड़कों के किनारे, अस्पतालों के बाहर चाय की रेहडिय़ों, ढाबा, रेस्टोरेंट और अन्य व्यवसायिक स्थलों पर घरेलू गैस सिलेण्डरों का प्रयोग धड़ल्ले से हो रहा है, जबकि इनके लिए व्यवसायिक सिलेण्डर कनेक्शन होना अनिवार्य है। और तो और गैस सिलेण्डर की रीफिलिंग भी आम है। कारों में भी घरेलू गैस सिलेंडरों का जमकर प्रयोग किया जा रहा है। इस खतरनाक अवैध कारोबार से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर जिम्मेदार अधिकारियों ने आंखें मूंदी हुई है।
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व्यावसायिक उपयोग नहीं रुक रहा
सरकार की ओर से बेशक रसोई गैस के प्रयोग के लिए नए नियम निर्धारित कर सिलेंडरों की संख्या सीमित कर दी गई हो, इसके बावजूद भी घरेलू गैस की कम आपूर्ति व कालाबाजारी के कारण लोगों को गैस मिलने में परेशानी हो रही है। वहीं दूसरी ओर घरेलू गैस का व्यावसायिक रूप में धड़ल्ले से प्रयोग किया जा रहा है, जिससे लोग परेशान हैं। वैवाहिक सीजन होने के कारण भी घरेलू गैस की किल्लत बढ़ रही है। शादियों के सीजन ने कालाबाजारी भी बढ़ा दी है, क्योंकि शादियों के कारण लोग गैस हासिल करने के लिए दर-दर भटकते रहते हैं, लेकिन घरेलू गैस का व्यावसायिक उपयोग नहीं रुक पा रहा है।
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घरेलू गैस को चंद मिनटों में कॉमर्शियल बनाया जा रहा
लोग अपनी गाड़ियों में पेट्रोल की बजाए घरेलू एलपीजी का इस्तेमाल कर रहे हैं। मजेदार बात यह है कि सड़क निर्माण के समय प्रयुक्त होने वाली मशीन को चलाने के लिए भी घरेलू गैस का प्रयोग किया जा रहा है। लेकिन इस स्थिति के बाद भी घरेलू गैस का दुरुपयोग को रोकने के लिए प्रशासन की ओर से कोई सख्त कदम नहीं उठाया जा रहा है। गली-गली में ऐसे कई गैरेज है, जो घरेलू गैस को चंद मिनटों में व्यावसायिक एलपीजी में तब्दील कर देते हैं। ताज्जुब वाली बात यह है कि मुनाफे के फेर में अक्सर दूसरों की जान को जोखिम में डाला जाता है। प्रशासन के पास टीम तो है, लेकिन इस गोरखधंधे पर लगाम कसने के लिए कोई ठोस प्लानिंग नहीं।
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Source: Jodhpur