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बारिश के सीजन में बैठे-बैठे शिक्षक रद्दी की पड़ताल करते गए और उसमें निकले ऐतिहासिक दस्तावेज संकलित करके संग्रालहय की कार्ययोजना बनाने लगे। बारिश से बदली कहानी को नया मोड़ मिल गया और नौ माह पहले हिंन्दी विभाग में अज्ञेय पांडुलिपि एवं शोध संग्रहालय की विधिवत रूप से स्थापना हो गई। अब इस संग्रहालय में 200 से अधिक ऐतिहासिक दस्तावेज सुरक्षित हैं। रद्दी को खंगालते समय एक बार चूने की छत टूट कर गिर गई, लेकिन शिक्षकों ने अपना काम नहीं रोका।

हस्तलिखित पत्रों में मिला इतिहास
प्रो. मीहपाल सिंह राठौड़ बताते हैं कि विभागीय साथी डॉ. महेन्द्र सिंह, डॉ. फत्ताराम नायक, डॉ. प्रेम सिंह के साथ हमने रोज दो-दो घण्टे कालांश खत्म होने पर इस रद्दी को खंगालना आरंभ किया। तब कई पत्र हाथ लगे, जिनमें हिन्दी जगत के मूर्धन्य शिक्षक आलोचक प्रो.नामवर सिंह, अज्ञेय, मैनेजर पाण्डेय, सूर्यप्रसाद दीक्षित, कुंवर चन्द्र प्रकाश सिंह व प्रो.जगदीश शर्मा के पत्र व्यवहार तत्कालीन हिन्दी जगत के मान्य विद्वान जैनेन्द्र, अमृतराम, शिवमंगल सिंह, सुमन, भीष्म साहनी, महादेवी वर्मा, प्रमुख विद्वानों के हस्तलिखित पत्र सामने आए, जो रद्दी में जाने वाले थे…हमें लगा कि हमारे हाथ कोई अनमोल वस्तु मिली है।

जोधपुर में तैयार हुआ पाठ्यक्रम
जयनारायण व्यास विवि की स्थापना1962 में हुई। प्रो. नामवर सिंह ने हिन्दी का पाठ्यक्रम तैयार करवाया। यही पाठ्यक्रम बाद में यूजीसी, यूपीएससी और नेट में लागू हुआ। इस संबंध में हुआ पत्राचार इस संग्रहालय में सुरक्षित है।

रद्दी में मिली पहली पीएच.डी.
जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में हिन्दी की प्रथम पीएच.डी. का शोध प्रबंध। शोध विषय- सूरदास का शृंंगार वर्णन। शोध निर्देशक- आचार्य रमाशंकर शुक्ल ‘रसालÓ…शोधकर्ता- महावीर सिंह गहलोत।

भावी योजना
एक तीन माह का पाठालोचन प्रमाण पत्र पाठ्यक्रम के प्रयास है, जिससे लुप्त होती सांस्कृतिक धरोहर हमारी बहियां, शिलालेख व प्राचीन हस्तलिखित गं्रथों के अध्ययन की जानकारी मिल सके।
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अज्ञेय पाण्डुलिपि एवं शोध संग्रहालय
निदेशक : प्रो.महीपाल सिंह राठौड़।
सदस्य : डॉ. प्रेम सिंह, डॉ.महेन्द्र सिंह, डॉ.फत्ताराम नायक।
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नामचीन विद्वानों के पत्र
पाण्डुलिपि पठन-पाठन पर कार्यशाला का आयोजन प्रस्तावित है। हिन्दी विभाग के साहित्यकारों पर सेमीनार प्रस्तावित है। शोध संस्थान में नामचीन विद्वानों के पत्र संगृहीत है, जिस पर शोध प्रस्ताव विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को भेजना प्रस्तावित है। शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों के लिए संग्रहालय में शोध पत्रों का संग्रहण कर प्रदर्शित किया गया है, जिनसे शोध कार्य में एक नई दृष्टि उपलब्ध होती है।
प्रो.महीपाल सिंह राठौड़, अध्यक्ष, हिन्दी विभाग, जयनारायण व्यास विवि

Source: Jodhpur

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