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पाली के पास रविवार देर रात सूर्यनगरी एक्सप्रेस पटरी से नीचे उतरने पर उसमें सफर कर रहे लोगों की जान सांसत में आ गई और बाल बाल बचने पर चेहरों पर रौनक नजर आई। उस ट्रेन में सवार यहां के यात्रियों ने हालात बताए।

उनमें से एक परिवार ने हाल बताया कि बालोतरा में विवाह में शामिल होने के लिए नववर्ष पर एक दंपती सूरत से खुशी-खुशी रवाना हुए थे, लेकिन ट्रेन पटरी से उतरने के बाद रेलवे व लोगों के अच्छे प्रयासों के बाद जब ये सुरक्षित बाहर निकले, उनकी जन में जान आई।
पचपदरा निवासी ओमप्रकाश संकलेचा (68) पिछले कुछ वर्ष से परिवार के साथ सूरत रह रहे हैं। अपने ससुराल में मंगलवार को विवाह आयोजन में शामिल होने को लेकर पत्नी पुष्पा (55) के साथ नव वर्ष की शाम 4:30 बजे सूरत से रवाना हुए थे। रात का खाना खाने व रेलगाड़ी में यात्रियों से बातचीत कर वे सो गए।

भगवान की फोटो वाला मोबाइल किसका है

पुष्पादेवी ने बताया कि तड़के ट्रेन मारवाड़ जंक्शन पर पहुंचने पर उनके साथ कई महिला यात्री व अन्य लोग पाली उतरने के लिए तैयारी करने लगे। इससे उसकी नींद खुल गई। वे सामान उतारने व एक जगह एकत्र करने के साथ उतरने की तैयारियों को लेकर सभी आपस में बात कर रहे थे। मारवाड़ जंक्शन से रवाना हुए 10 मिनट भी नहीं बीते थे कि उसने कुछ कुछ अंतराल में जोर के तीन धमाके होने की आवाज सुनी। इससे पहले वह संभलती कि सामने की सीट पर बैठी सवारियां उस पर आ गिरीं। इससे वह दब गई। कोच की लाइट भी बंद हो गई। लोगों की चीखने व चिल्लाने की आवाज सुनकर वह घबरा गई। लोगों ने मोबाइल से रोशनी की। इसके कुछ समय बाद उसे रेलगाड़ी के डिब्बे गिरने की जानकारी हुई। दर्द के मारे उससे उठा नहीं जा रहा था। करीब आधे घंटे बाद लोगों ने उसे व अन्य लोगों को बड़ी मुश्किल से बाहर निकाला। इस पर उसने जोर-जोर से पति काे आवाज दी, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिली। इस पर वह और अधिक घबरा गई। इस दौरान किसी को मिले एक मोबाइल पर उसने जोर-जोर से आवाज देते हुए कहा कि भगवान की फोटो वाला मोबाइल किसका है। यह सुन कर मैं मोबाइल पहचान गई। उससे पति के बारे में पूछा। तब उसने बताया कि सब सुरक्षित हैं, घबराएं नहीं। सभी को सुरक्षित बाहर निकाला जा रहा है। इस दौरान होश आने पर घायल पति ने दूसरों के मोबाइल से उसके बेटे को फोन लगाया। स्वयं की सुरक्षित होना बताते हुए उसके बारे में पूछा। इतने में उसकी बेटी का उसके पास फोन आया व कि पापा सुरक्षित हैं, घबराएं नहीं, वे चिकित्सालय में भर्ती है। कुछ चोट लगी है और सही है। इस पर मैंने राहत की सांस ली। पुष्पादेवी ने बताया कि उसके पति और उसका एक ही कोच एस फाइव था। उसकी सीट संख्या 14 व पति की 51 थी। इस पर वे दोनों ही अलग- अलग बैठे थे। हादसे से कुछ पहले उसके पति बाथरूम गए थे। बाहर निकलने के दौरान अचानक हादसा हुआ। इससे उनके सिर पर चोट लगी। उपचार बाद 14 टांके आए।
रेलवे कर्मचारियों ने साथ दिया
पुष्पादेवी ने बताया कि सोमवार शाम छह बजे रेल कर्मचारी उन्हें लेकर बालोतरा पहुंचे। उन्होंने साथ नहीं चलने के लिए कई बार मना किया और कहा कि वे स्वस्थ हैं, उन्हें बस किराये पर गाड़ी करवा दें, वे घर चले जाएंगे। लेकिन वे नहीं माने। उन्होंने कहा कि यह उनका कर्तव्य है। सुरक्षित घर पहुंचने पर परिजनों ने भी राहत की सांस ली। बालोतरा के घूूंघिया के धोरे पर रह रही बेटी नगीना, दामाद जीतू व अन्य सदस्यों को देख उसका दर्द कुछ कम हुआ।

Source: Barmer News

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