बाड़मेर . एक मां अपनी बेटी की खातिर बीते छह महीने से सरकारी दफ्तरों की खाक छान रही है, लेकिन उसे कहीं से भी मदद नहीं मिल रही है। जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है, मां का कलेजा पसीजता जा रहा है। उसे डर है कि यदि सरकार ने सच में अनसुनी कर दी तो उसकी आठ वर्षीय बेटी जानवी भी सुनना बंद कर देगी। जानवी के बहरा होने का मतलब है, उसकी पढ़ाई लिखाई बंद हो जाना और अंतत: एक मासूम का भविष्य अंधकारमय हो जाना।
बाड़मेर शहर कोतवाली के पीछे निवासी आठ वर्ष की मासूम बच्ची जानवी परमार जन्म से मूक बधिर है। जानवी का वर्ष 2016 में उसके ननिहाल अहमदाबाद में उपचार हुआ। गुजरात सरकार ने इस मासूम को साढ़े पांच लाख रुपए की एक फ्रीडम प्रोसेसर मशीन निशुल्क उपलब्ध करवाई। मां ने इस मशीन व थैरेपी के जरिए अपनी इकलौती बेटी को सामान्य बच्चों जैसा बना दिया। दूसरी कक्षा में पढ़ने वाली जानवी अपनी क्लास की टॉपर है, लेकिन बीते छह महीने से उसकी पढ़ाई पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। दरअसल जानवी मशीन के सहारे ही सुनती है, वह जिस मशीन से सुनती है, उस कंपनी ने दिसंबर 2023 में अपनी सेवाएं बंद करने का ऐलान कर दिया है। मशीन की वर्ष भर में एक-दो बार रिपेयरिंग करवानी पड़ती है, जो संबंधित कंपनी ही करती है। कंपनी की सेवाएं बंद होने के साथ ही मशीन की मियाद खत्म हो रही है। ऐसे में जानवी को नई मशीन की जरूरत है। परिवार अपने स्तर पर मशीन खरीदने में सक्षम नहीं है। इसलिए जानवी की मां सोनल बीते छह महीने से सरकार से नई मशीन की गुहार कर रही है, लेकिन सरकारी तंत्र ने अभी तक स्वीकृति नहीं दी है।
बाड़मेर जिला कलक्टर ने मासूम जानवी की पीड़ा सरकार तक पहुंचाई, लेकिन उसका सकारात्मक जवाब नहीं आया। कलक्टर ने 30 अगस्त को मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजस्थान स्टेट हेल्थ एश्यारेंस एजेंसी को पत्र भेज कर वस्तुस्थिति से अवगत करवाया, लेकिन चिरंजीवी योजना व आरजीएचएस में उपकरण मुहैया करवाने के नॉर्म्स नहीं होने का हवाला देकर मामला टाल दिया गया। विधायक मेवाराम जैन ने 2 नवम्बर को मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर मदद की गुहार की, लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं आया।
विशेष स्वीकृति दे सरकार: सरकार से अनुरोध है कि हमारी पारिवारिक स्थिति व बच्ची के भविष्य को ध्यान में रखते हुए मशीन उपलब्ध करवाने की विशेष स्वीकृति जारी करे, ताकि जानवी की पढ़ाई जारी रह सके। मैं पढ़ाई के जरिए मेरी बच्ची को योग्य बनाना चाहती हूं, ताकि वह वयस्क होने पर आत्मनिर्भर बन सके। यदि कोई स्वयं सेवी संस्था या भामाशाह आगे आकर मदद करे तो भी हमें राहत मिल जाएगी। – सोनल परमार, जानवी की मां
Source: Barmer News