अमित दवे/जोधपुर. चार लाख टन प्याज का उत्पादन करने वाले जोधपुर जिले के लोग आयातित (इम्पोर्टेड) प्याज खाएंगे। केन्द्र सरकार की ओर से प्याज के आसमान छू रहे भावों पर नियंत्रण के लिए प्याज आयात की अनुमति दी थी। इसके बाद भदवासिया मंडी में भी एक गाड़ी इजिप्ट का प्याज आया है। विदेशी प्याज का रंग हल्का भूरा है, जबकि देसी प्याज गहरे भूरे रंग का होता है। इसका आकार भी देसी प्याज से बड़ा है और एक प्याज 50 ग्राम से आधा किलो तक का है। इसका स्वाद तीखा है। बुधवार को होलसेल में यह प्याज 75 रुपए प्रतिकिलो जबकि देसी प्याज 55-65 रुपए प्रतिकिलो बिका।
किसानों को नहीं मिल रहे हरे प्याज के भाव
प्याज महंगा होने से उपभोक्ताओं के आंसू निकाल रहा है। दूसरी तरफ फ सल के समय किसानों को लागत जितना भाव भी नहीं मिल रहा। सर्दी में कड़ी मेहनत से प्याज की पौध तैयार करने वाले किसान हरे प्याज को बाजार में बेचकर आमदनी करना चाह रहे है लेकिन मंडी में उनको हरे प्याज के सामान्य भाव ही मिल पा रहे हैं। हरा प्याज बेचने पर किसानों को औसतन दस रुपए किलो का भाव मिल रहा है। जबकि बाजार में हरे प्याज की एक पूली दस रुपए की मिल रही है।
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प्याज उत्पादन लागत प्रति बीघा
– 4 हजार रुपए पौध खर्च
– 12 हजार रुपए बुवाई पर
– 4 हजार रुपए सिंचाई बिल
– 3500 रुपए सिंचाई मजदूरी
– 2 हजार रुपए जमीन किराया
– 6 हजार रुपए प्याज कटाई
– 3500 रुपए पैकिंग व ढुलाइ
– 35 हजार रुपए कुल लागत
– 30 क्विंटल प्रति बीघा उत्पादन
– 1200 रुपए प्रति क्विंटल लागत
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वर्ष 2018-19 में प्याज बुवाई व उत्पादन
(बुवाई हैक्टेयर व उत्पादन लाख मिट्रिक टन में)
जिला — बुवाई — उत्पादन
जोधपुर — 17327 — 4.11
सीकर — 12586 — 2.63
अलवर — 12005 — 0.74
इनका कहना है
मुम्बई से इस बार इजिप्ट का प्याज आया है। होलसेल में 75 रुपए प्रतिकिलो बिका। ग्राहकों की मांग व उठाव के बाद ही आगे इस प्याज का ऑर्डर देंगे।
इन्द्रजीत परिहार, होलसेल विक्रेता
किसानों को कभी कभार ही प्याज की उत्पादन लागत के बराबर मूल्य मिल पाता है। बिचौलियों के कारण प्याज के भाव आसमान पर चले जाते है, इससे प्याज हर बार किसान व उपभोक्ता के आंसू निकालता है।
तुलछाराम सिंवर, आंदोलन व प्रचार प्रमुख, भारतीय किसान संघ जोधपुर
Source: Jodhpur