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जोधपुर। लड़की हूं इसलिए जन्म के 7 घंटे बाद ही जन्मदाता ने झाडि़यों में फेंक दिया। मुझे नहीं मालुम कि इंसान भी हैवान बन जाता है। जन्म देने वालों के लिए तो मैं कभी की मर चुकी, लेकिन फरिश्ते के रूप में आए ग्रामीणों ने मुझे अस्पताल पहुंचा दिया। अब अस्पताल में सांसें गिन रही हूं। किसी दुआ और दवा ने असर किया तो मैं उठ खड़ी होऊंगी और ऐसे हैवानों को करारा जवाब दूंगी कि लड़की हूं और लड़ भी सकती हूं। उम्मेद अस्पताल के शिशुगृह में भर्ती 7 घंटे की मासूम की यह झकझोर देने वाली व्यथा है।

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अजीत गांव की झाड़ियों में लावारिश मिली अज्ञात जिन्दा नवजात को इलाज के लिए शनिवार को बालोतरा से जोधपुर उम्मेद अस्पताल जोधपुर लाया गया। यहां उसका उपचार चल रहा है। संयोग से नवजात स्वस्थ है। शनिवार को अजीत चौकी प्रभारी शैतानसिंह एंबुलेंस की सहायता से नवजात को लेकर उम्मेद अस्पताल पहुंचे। बाल कल्याण समिति न्यायपीठ बाड़मेर ने अधीक्षक राजकीय विशेषज्ञ दत्तक ग्रहण एजेंसी शिशु गृह जोधपुर को इस नवजात को सरंक्षण में लेकर समुचित उपचार, उचित देखरेख के निर्देश दिए हैं। अब आगामी आदेश तक नवजात इस एजेंसी की सरंक्षण में रहेगी।

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लावारिश मिली थी मासूम
ज्ञात रहे कि शुक्रवार दोपहर को अजीत गांव की झाड़ियों में यह नवजात बच्ची जीवित अवस्था में लावारिश मिली थी जिसे पुलिस ने समदड़ी अस्पताल पहुंचाया। समदड़ी से चिकित्साधिकारी ने प्राथमिक देखरेख के बाद बालोतरा रैफर किया जहां पर बालोतरा पुलिस उप अधीक्षक व उपखंड अधिकारी ने अस्पताल पहुंच कर नवजात की सुध लेकर स्वास्थ्य के बारे में चिकित्सकों से राय ली। शनिवार सुबह नवजात को बालोतरा से जोधपुर रैफर किया गया।

Source: Jodhpur

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