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जोधपुर।

सुरक्षित व सस्ती यात्रा का दावा करने वाली रोडवेज संसाधनों के अभाव में यात्रियों के बोझ व सरकारी रियायतों को ढोते-ढोते दबी जा रही है। जोधपुर रोडवेज डिपो पर प्रतिदिन करीब 16-18 हजार यात्रियों का आवागमन हो रहा है जबकि रोडवेज बेड़े में कुल 110 बसें ही है। बसों की कमी के साथ ही रोडवेज स्टाफ की कमी से जूझ रहा है। ऐसे में सरकार न तो पर्याप्त बसें उपलब्ध करा रही है और न ही स्टाफ की कमी को पूरा कर रही है। इसके परिणामस्वरूप, निजी बसों का संगठित व नियमित रूप से अवैध संचालन हो रहा है।ऐसे में प्रतियोगी परीक्षाओं मेलों और उत्सवों में अतिरिक्त वाहनों का संचालन कोढ में खुजली के समान साबित हो रहा है।

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पुलिस व परिवहन विभाग नहीं कर रहा प्रभावी कार्यवाही

पर्याप्त रोडवेज बसें नहीं होने से प्राइवेट बसें दौड़ती है। जो लोगों से मनमाना किराया वसूल कर रही है। जिन पर प्रभावी नियंत्रण नहीं है। लेकिन रोडवेज की कमी से जनता को मजबूरन अवैध वाहनों में यात्रा करनी पड़ रही है। और तो और रोडवेज बसों के आगे-पीछे निजी बसों का संचालन होने से रोडवेज की आय प्रभावित हो रही है। साथ ही, ओवरलोडिंग करके यात्रियों की जान भी खतरे में डाल रहे हैं। सुबह और शाम को बस स्टैण्ड के बाहर से निजी बसें संचालित होती है फिर भी पुलिस व परिवहन विभाग कोई कार्यवाही नहीं कर रहे है।

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सरकार भी बसों का बेड़ा व रुटों में कर रही कमी

रोडवेज प्रबंधन में सभी रुटों के लिए न तो पर्याप्त बसों का बेड़ा है न ही अन्य संसाधन। सरकार रोडवेज के बेड़े कमी के साथ धीरे-धीरे रोडवेज रूटों में भी कमी कर रही है। वर्ष 2004 में निगम में करीब 25 हजार से अधिक नियमित कर्मचारी व करीब 5 हजार से अधिक बसों का बेड़ा हुआ करता था। लेकिन सरकार ने 2013-14 के बाद नई भर्ती नहीं निकाली, ऐसे में वर्तमान में प्रदेश में केवल 12 हजार कर्मचारी ही कार्यरत है। इससे बसों का संचालन भी प्रभावित हो रहा है।

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संसाधनों की कमी है। डिपो की ओर से सरकार को नई बसों के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। उम्मीद है जल्द ही डिपो को नई बसें मिलेेगी।

उम्मेदसिंह, मुख्य प्रबंधक

रोडवेज जोधपुर

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रोडवेज में नई बसों के साथ कर्मचारियों की भर्ती करने की मांग कर रहे है।

धर्मवीर सैन, अध्यक्ष

मंत्रालयिक एवं अधीनस्थ कर्मचारी संघ

Source: Jodhpur

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