जोधपुर. नारी सशक्तीकरण के प्रतीक जोधपुर में मनाए जाने वाले धींगा गवर मेले में रविवार देर रात तक अध्यात्म, कला संस्कृति, मस्ती, भक्ति और उल्लास का संगम नजर आया। सौभाग्य की कामना के लिए मां पार्वती की प्रतीक गवर माता के सोलह दिवसीय पूजन अनुष्ठान के अंतिम दिन रतजगे की रात को शहर में विराजित गवर प्रतिमाओं के दर्शनार्थ स्वांग रचकर निकली गवर पूजन करने वाली तीजणियों ने दर्शन में बाधक बनने वाले पुरुषों पर जमकर बैंत के प्रहार किए। करीब 15 से अधिक जगहों पर स्वर्ण आभूषणों से लदकद गवर को तीजणियों के दर्शन के लिए विराजित किया गया।
परकोटे के भीतरी शहर में निखरी उन्मुक्त संस्कृति
जोधपुर.धीगा गवर विदाई की रस्म ‘ भोळावणी ‘ की रात ‘ रतजगे ‘ की अलख में मस्ती और धूम मचाती स्वांग रची तीजणियों ने ‘ कुंआरों ‘ की मीठी मनुहार पर जमकर बेतों का प्रहार किया । अलग अलग स्वांग रची तीजणियां देर रात को जब जोधपुर शहर परकोटे के भीतर तंग गलियों में गवर प्रतिमाओं के दर्शनार्थ हाथों में बेंत लिए निकली तो युवाओं का हुजूम बचने के लिए सुरक्षित ठोर ढूंढते नजर आए । रविवार शाम जोधपुर में आयोजित अनूठे धींगा गवर मेले में तीजणियों ने आधुनिक और नवीन रंग भर और भी इन्द्रधनुषी बना दिया । तीजणियों के धमाल में छड़ियों की झड़ी के साथ हरकतों में उमड़ता मस्ती का सागर और हास परिहास की फुहार का दौर देर रात तक अनवरत जारी रहा। शहर के करीब 15 से अधिक जगहों पर विराजित गवर माता की प्रतिमाओं के मनमोहक शृंगार के दर्शनार्थ रात 9 बजे से ही तीजणियों के समूह पहुंचने आरंभ हो गए । परकोटे के भीतरी शहर के सिटी पुलिस चाचा की गली , कुम्हारियां कुआं , सुनारों की घाटी क्षेत्र में विराजित गवर सर्वाधिक आकर्षण का केन्द्र रही।
मेला देखने उपनगरीय क्षेत्रों से भी पहुंचे लोग
रंग बिरंगी रोशनी से गुलजार गलियों में रात के गहराते अंधियारे के साथ परवान चढ़े धींगा गवर मेले के धींगाणे को देखने परकोटे के निवासियों के साथ शहर के उपनगरीय क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचे । तीजणियों के हाथों कुंआरों को बेत खाने पर विवाह जल्द होने की लोक मान्यता के चलते पहुंचे युवाओं की इच्छा को तीजणियों ने पूर्ण मनोयोग से पूरा किया । तीजणियों ने स्वांग के लिए सूर्यनगरी के मेक – अप विशेषज्ञों का भी सहयोग लिया । इस बार तीजणियों के शृंगार , वीर , रौद्र , हास्य, करूणा, अद्भुत, वात्सल्य, शांति और भक्ति के रंग के साथ दक्षिण भारतीय फिल्मों के रंग नजर आए।
केवल जोधपुर में दो बार पूजी जाती है गणगौर
जोधपुर में गवर को दो अलग – अलग नाम से मनाने की परम्परा चली आ रही है । पहले पखवाड़े में पूजे जाने वाली गणगौर घुड़ला गवर कहलाती है जबकि दूसरे पखवाड़े में धींगा गवर का पूजन होता है । प्रथम पखवाड़े में गवर का पूजन चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से आरंभ होकर चैत्र शुक्ल तीज तक किया जाता है । इसमें कुंवारी कन्याएं मनोवांछित वर और सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए गवर पूजन और व्रत रखती है ।
Source: Jodhpur