वीडियो : दिलावर सिंह राठौड़/बेलवा. लोकदेवता बाबा रामदेवजी के प्रति आस्था व श्रद्धा से उनके श्रद्धालुओं की ओर से बाबा के रातिजगे में जम्मा रखवाने की लोक परंपरा कायम है। जम्मे में बाबा रामदेवजी के परचों व उनके लोकहितार्थ किए गए कार्यों का यशोगान बाबा के रिखीयों (बाबा रामदेवजी के मेघवाल जाति के भक्त) द्वारा भजनों के माध्यम से किया जाता है। बाबा के जम्मे में रात भर भजनों की गंगा बहती हैं साथ ही अखंड ज्योत भी रात भर जागती है। जम्मे में बाबा को विशिष्ट प्रकार का भोजन चूरमा व लड्डू का भोग लगाया जाता है। जम्मे में लोक वाद्य तंदुरे की धुन पर रातभर श्रद्धालु उनकी स्तुति करते हैं।
रात में 1 बजे होता है भोमियाजी का भजन
बाबा रामदेवजी के जम्मे में रात्रि को एक बजे भोमियाजी को याद करने की परंपरा का निर्वहन भी किया जाता है। जम्मे में भोमियाजी के भजनों द्वारा यशोगान किया जाता है। बाबा के भक्त हरजी भाटी के गादीपति पंडित जी की ढाणी रूपदास महाराज के अनुसार गायों की रक्षार्थ पड़ासला के भोमियाजी रघुवीरसिंह विक्रम सवंत 1762 को रामदेवजी के परम शिष्य हरजी भाटी को पंडित जी की ढाणी में मिले थे। मान्यता है कि जिसके बाद हरजी भाटी ने भोमियाजी को देवगति में लाए। भोमियाजी जिसके बाद रघुदास कहलाए। उन्होंने भाटी से प्रार्थना की थी कि बाबा के कार्यक्रमों में मुझे भी निमंत्रण दिया जावे। कहा जाता है कि हरजी भाटी ने उन्हें इससे मना कर दिया और कहा कि बाबा के रात्रि जम्मे में रात को 1 बजे आपको नारियल का भोग लगाने के साथ ही आपकी महिमा का गान होगा। तब से बाबा के जम्मे में रात को भोमियाजी को याद किए जाने की परंपरा निभाई जा रही है।
Source: Jodhpur