जोधपुर।
सनातन धर्म में अक्षय तृतीया को काफी शुभ माना जाता है। इस दिन शुभ व मांगलिक कार्य किए जाते हैं। धर्म शास्त्रों के अनुसार इसी दिन सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत हुई थी। इस दिन किया गया जप, तप, ज्ञान, स्नान, दान, होम आदि अक्षय रहते हैं। इस साल अक्षय तृतीया शनिवार को मनाई जाएगी। अक्षय तृतीया पर छह योगों का महासंयोग बन रहा है। इनमें आयुष्मान योग, सौभाग्य योग, त्रिपुष्कर योग, रवि योग, अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग है। तृतीया तिथि शनिवार सुबह 7.49 बजे से शुरू होकर रविवार को सुबह 7.47 बजे तक रहेगी। ज्योतिषी पं अनीष व्यास ने बताया कि तृतीया से लेकर अगले दिन तक सुबह तक श्रेष्ठ मुहूर्त में विवाह के फेरे लिए जा सकेंगे। इस दिन सूर्य मेष राशि में और चंद्रमा वृषभ राशि में होता है। इस स्थिति को मांगलिक कार्यों के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था, इसलिए इसे परशुराम तीज भी कहते हैं। इसी दिन भगवान विष्णु ने नर और नारायण के रूप में अवतार लिया था।
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दान से मिलता है अक्षय पुण्य
अक्षय तृतीया के दिन खरीदारी के साथ जलदान, अन्नदान का महत्व है। साथ ही , घड़ी, कलश, पंखा, छाता, चावल, दाल, घी, चीनी, फल, वस्त्र, सत्तू, ककड़ी, खरबूजा और दक्षिणा सहित धर्मस्थान या ब्राह्मणों को दान करने से अक्षय पुण्य फल मिलता है।
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इन शुभ योगों का महासंयोग
– आयुष्मान योग – प्रात: काल से सुबह 9:26 बजे तक।
– सौभाग्य योग – सुबह 9:26 बजे से पूरी रात तक।
– त्रिपुष्कर योग – सुबह 5:49 बजे से सुबह 7:49 बजे तक।
– रवि योग – रात 11:24 बजे से अगली सुबह 5:48 बजे तक।
– सर्वार्थ सिद्धि योग – रात 11:24 बजे से अगले दिन सुबह 5:48 बजे तक।
– अमृत सिद्धि योग – रात 11:24 बजे से अगले दिन सुबह 5:48 बजे तक।
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Source: Jodhpur