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जोधपुर. जिले के लोड़ता हरिदासोत गांव में नींद की गोलियां खाने के बाद माता-पिता सहित दस जनों को जहरीले इंजेक्शन लगाकर नर्स बेटी के जान देने के मामले में पौने तीन साल तक जांच के बावजूद पुलिस आरोप साबित नहीं कर पाई। आखिरकार प्रकरण में एफआर लगा दी गई, जो कोर्ट में स्वीकार भी कर ली गई।

यह है मामला
पाकिस्तान में सिंध के सांगढ़ जिले का परिवार 2015 में भारत आ गया था और लोड़ता हरिदासोत गांव में बतौर कृषक मजदूरी करने लगा था। 9 अगस्त 2020 सुबह खेत पर बनी झोंपड़ी में बुद्धाराम (75), पत्नी अंतरादेवी (70), पुत्र रवि (35), पुत्री लक्ष्मी (40), प्रिया उर्फ प्यारी (25) व सुमन (22), पौत्र दयाल (11), दानिश (10), पौत्री दीया (5), नवासा तैन (12) व नवासी मुकद्दस (17) के शव मिले थे। प्रिया ने पाकिस्तान में नर्सिंग की थी और बालेसर में निजी अस्पताल में कार्यरत थी। नींद की गोलियां खिलाने के बाद उसी ने दस जनों के हाथ जहरीले इंजेक्शन लगाए थे। फिर खुद के पांव में जहरीला इंजेक्शन लगाया था। जिससे 11 जनों की मौत हो गई थी।

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खेत की रखवाली करने वाला पुत्र सुरक्षित बचा था
बुद्धाराम का पुत्र केवलराम रात को खेत की रखवाली करने निकल गया था। रेतीले टीले पर सो गया था। वह सुबह लौटा था तब सभी घरवालों को मृत पाया था। उसी ने मण्डोर के आंगणवा में रहने वाले ससुराल पक्ष पर जान से मारने की धमकियां देने और कोई कार्रवाई न होने से परेशान होकर आत्महत्या को दुष्प्रेरित करने का मामला दर्ज कराया था।

प्रकरण की जांच एएसपी मुख्यालय ने की थी। जिसमें जांच के बाद एफआर लगाई गई है। जो कोर्ट में पेश करने पर स्वीकार भी कर ली गई है।’
नूर मोहम्मद, वृत्ताधिकारी ओसियां, जोधपुर ग्रामीण

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Source: Jodhpur

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