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राजेन्द्र सिंह देणोक

जोधपुर. देश को पंचायती राज की सौगात देने वाला राजस्थान नया इतिहास गढ़ रहा है। यहां अब अंगूठा टेक नहीं बल्कि फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाली महिलाएं पंचायतीराज की कमान संभाल रही है। दूरदृष्टा की तरह पंचायतों में नवाचार कर रही है। न केवल सरकारी योजनाएं, बल्कि गांवों की तस्वीर बदलने में सीएसआर का भी बेहतर ढंग से उपयोग कर रही है। ग्रामीणों की समस्याओं का समधान करने में सूझबूझ का परिचय दे रही हैं।

मेयो में पढ़ी प्रगति महिलाओं को बना रहीं आत्मनिर्भर

बिलाड़ा पंचायत समिति की प्रधान प्रगतिकुमारी खेजड़ला अजमेर के मेयो कॉलेज में पढ़ी है। वे क्रिकेट और शूटिंग की राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी भी रहीं हैं। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की मुहिम चला रही है। डेयरी और खुद का व्यापार चलाने के लिए महिलाओं को प्रेरित कर रही है। राजीविका से जुड़ने के लिए महिलाओं को तैयार कर रही है। ग्रामीणों की समस्याएं सुनने और उनके समाधान के लिए खुद का मैकेनिज्म तैयार किया है।

हटा दिया रबर स्टांप का टैग

महिला जनप्रतिनिधियों पर लगा ‘रबर स्टांप’ का टैग हटाने में लूणी प्रधान वाटिका राजपुरोहित काफी हद तक सफल रहीं है। उन्होंने ग्राम पंचायतों और पंचायत समिति की बैठकों में महिला जनप्रतिनिधियों का शामिल होना अनिवार्य कर दिया और परिजनों के शामिल होने पर प्रतिबंध लगा रखा है। सीए कर चुकी राजपुरोहित का कहना है कि उसके लिए यह नया चैलेंज था। सरकार की योजनाओं को पहले खुद समझती है, फिर लागू करवाने में जुट जाती है। अधिकारियों से अंग्रेजी में जवाब-तलब करतीं है।

प्रदेश की मॉडल पंचायत है खारिया खंगार

खारिया खंगार ग्राम पंचायत की सरपंच प्रमिला चौधरी ने खुद की काबिलियत से नई पहचान गढ़ी है। वह ग्रेजुएट है। पंचायत का पूरा काम खुद संभालती है। कई कंपनियों से सीएसआर से पंचायत में नवाचार कराए। सरकारी स्कूलों की तस्वीर बदल दी। खारिया खंगार को प्रदेश की मॉडल पंचायतों की श्रेणी में खड़ा कर दिया। सरपंच संघ की अध्यक्ष है। खुद का व्यापार भी चलाती हैं। सरकार के साथ-साथ खुद के पैसों से भी विकास के ढेरों काम करा दिए।

Source: Jodhpur

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