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हनुमान गालवा, जोधपुर। पिछली साल नहरबंदी के दौरान गड़बड़ाए पेयजल प्रबंधन से इस बार जलदाय विभाग ने ना सिर्फ सबक सीखा, बल्कि जनता पर आने वाले संभावित जल संकट को भी टाल दिया है। इन्दिरा गांधी नहर की नहरबंदी के बावजूद अब शहर की आबादी को पिलाने के लिए विभाग के पास 910 एमसीएफटी पानी का विशाल स्टॉक है। इस जल भंडार को 36 दिनों के लिए पर्याप्त माना जा रहा है, जबकि नहरबंदी खुलने के बाद जोधपुर तक पानी पहुंचने में महज 10 दिन का ही समय शेष है।

कल से खुलेगी नहर, सप्ताह भर में आएगा पानी

विभाग इस बार नहरबंदी में कायलाना-तख्तसागर और सुरपुरा बांध में भरा पानी बचाने में सफल हुआ है। 30 मई को नहर में पंजाब से पानी की आवक शुरू हो जाएगी। पानी जोधपुर पहुंचने में छह या सात दिन का समय लेगा। यानि, अब महज दस दिन का संकट है। जबकि 36 दिन का स्टॉक पॉन्डिंग में है। रविवार को जयपुर में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के एसीएस सुबोध अग्रवाल ने इंदिरा गांधी नहरबंदी के दौरान पेयजल स्थिति की समीक्षा की। बैठक में अधिकारियों से पश्चिमी राजस्थान विशेषकर जोधपुर शहर में स्थिति की जानकारी ली गई। इंदिरा गांधी नहर पर आधारित समस्त 10 जिलों के 49 शहर एवं 8294 गांवों की लगभग 1.80 करोड़ आबादी पीने के पानी के लिए इंदिरा गांधी नहर पर आश्रित है। नहरबंदी के दौरान इस आबादी को पानी की आपूर्ति नहर में पोडिंग और जलाशयों में संग्रहित पानी से की गई।

नहरबंदी से प्रभावित जिले

बीकानेर, हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, चूरू, नागौर, जोधपुर, जैसलमेर तथा बाड़मेर। सीकर तथा झुंझुनू आंशिक रूप से प्रभावित।

इन शहरों में चले पीएचईडी के वाटर टैंकर

जयपुर, अजमेर, करौली, तिजारा, अलवर, राजगढ, बांदीकुई, दौसा, बसवा, विराटनगर, शाहपुरा, बगरू, सिवाना, जैसलमेर, देवगढ़ तथा पिलानी।

बूंद-बूंद का हिसाब

– 474 एमसीएफटी पानी कैनाल पॉन्डिंग में।

– 341.95 एमसीएफटी पानी कायलाना-तख्तसागर में।

– 94.3 एमसीएफटी पानी सुरपुरा बांध में।

रिजर्व वाटर

– पोंडिंग सिस्टम से 21 दिन का पानी।

– कायलाना-तख्तसागर व सुरपुरा बांध में 15 दिन का पानी।

– 26 मार्च से 29 मई तक इंदिरा गांधी नहरबंदी।

– 35 दिन आंशिक नहरबंदी।

– 30 दिन पूर्ण नहरबंदी।

पॉन्डिंग : पीएचईडी ने नहर में पॉन्डिंग सिस्टम से पानी स्टॉक किया। आंशिक नहरबंदी के दौरान इस स्टॉक को बढ़ा लिया। शहर के रिजर्व वाटर को छेड़े बिना पूरी नहरबंदी में पोंडिंग के पानी से ही काम चल गया।

शटडाउन : दीपावली के बाद से पीएचईडी ने स्टॉक बढ़ाने के लिए हर 10वें दिन शटडाउन शुरू किया। नहरबंदी के आखिरी चरण में शटडाउन हर 15वें दिन लिया जाने लगा। नहरबंदी से पहले जितनी जलापूर्ति होती थी, उससे ज्यादा नहरबंदी में होने लगी।

स्टॉक : नहरबंदी शुरू होने से लेकर अब तक कायलाना-तख्तसागर और सुरपुरा बांध लबालब भरे रहे। पीएचईडी ने इस दौरान पॉन्डिंग सिस्टम से संचित पानी से काम चला लिया।

नहरबंदी के दौरान पिछले साल गहराए पेयजल संकट से सबक लेते हुए इस बार जल प्रबंधन को बेहतर बनाया गया। अभी कायलाना-तख्तसागर और सुरपुरा बांध अपनी पूरी क्षमता के अनुरूप भरे हैं। नहर में पोंडिंग सिस्टम से पानी संचय का प्रयोग भी सफल रहा। इस बार पेयजल संकट का सामना नहीं करना पड़ा।

– नीरज माथुर, मुख्य अभियंता, पीएचईडी, जोधपुर

Source: Jodhpur

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