Posted on

पशुओं की पौष्टिकता में बढ़ोतरी
इससे बकरियों में दूध की मात्रा व उनके वजन में बढ़ोतरी हो जाती है। कैक्टस के एक पत्ते से एक दिन में बकरी का वजन 70 ग्राम बढ़ जाता है। इसलिए पशुपालकों को स्पाइनलेस कैक्टस खासा रास आ रहा है। गुड़ामालानी के नेहरों का वास के 70 किसानों ने अपने खेतों में स्पाइनलेस कैेक्टस लगाए हैं।

खेतों में 1,000 रुपए में 100 कैक्टस
स्पाइनलेस कैक्टस को भेड़, बकरी, गाय, भैंस पशु खाते हैं। इसे खेत में लगाने के लिए कांटेदार बाड़ की जरूरत रहती है। जिन किसानों के खेत में तारबंदी है, वहां पर बायफ (भारत एग्रो-इंडस्ट्री फाउंडेशन) ने महज 1,000 रुपए में 100 कैक्टस लगाए हैं। क्लेडोडस यानी कैक्टस के पत्ता का रोपण किया जाता है। यह छह महीने में तैयार हो जाता है। एक दर्जन बकरियों के लिए 100 कैक्टस पर्याप्त है।

आठ वर्ष पहले हुआ प्रयोग रहा सफल
बाड़मेर के निकटवर्ती गांव उंडखा में भारत एग्रो इंडस्ट्री फ ाउंडेशन का फ ार्म है। यहां वर्ष 2015-16 में प्रायोगिक तौर पर स्पाइनलेस कैक्टस लगाए गए, जो बिना पानी के पनप गए। इससे पशुपालकों को काफी सुविधा मिली। इसके बाद नाबार्ड के वित्तीय सहयोग से वर्ष 2019 से किसानों के सूखे खेतों में कैक्टस लगाने का काम शुरू हुआ।

खेत में लगाए पांच हजार कैक्टस
बायफ के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी विजय कुमार शर्मा ने बताया कि उखेड़ा गांव के उन्होंने किसान बाबूलाल के खेत में 100 कैक्टस लगाए थे। इन्हीं कैक्टस के क्लेडोडस से किसान ने अपने खेत में पांच हजार कैक्टस लगा दिए। वह अपने सभी पशुओं को वर्ष भर हरा चारा खिला रहे हैं । आसपास के किसान उनके खेत से क्लेडोडस ले जाकर अपने खेतों में लगा रहे हैं। इसके रोपण के लिए बरसात का मौसम सर्वाधिक उपयुक्त रहता है। इसके पौधे की उम्र करीब तीस से चालीस वर्ष है।

धर्मसिंह भाटी — बाड़मेर

Source: Barmer News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *