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जोधपुर। केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) में इस साल खजूर की बम्पर पैदावार हुई है। मानसून से पहले ही खजूर की एडीपी-1 वैरायटी के फल आने से फसल भी खराब होने से बच गई। एक पेड़ से 100 किलो से अधिक खजूर आए हैं। 8 साल में पहली बार इतनी अधिक पैदावार होने से वैज्ञानिक खुश हैं। इन वैज्ञानिकों का कहना है कि काजरी ने गुजरात की आणंद यूनिवर्सिटी से वर्ष 2014 में खजूर की एडीपी-1 वैरायटी के 159 पौधे लाकर यहां लगाए थे। यहां यह पौधे टिश्यू कल्चर तकनीक से तैयार किए गए। आठ साल में इनके परिणाम लगातार सकारात्मक रहे हैं। अब इस वैरायटी से किसान भी फसल ले सकते हैं।

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सीरिया की वैरायटी उतनी सफल नहीं
इंटरनेशनल सेंटर फॉर ड्राई लैंड एग्रीकल्चर सीरिया की ओर से 2014 में काजरी को खजूर की 3 किस्म के 18 पौधे दिए थे, लेकिन उनकी फसल आशा के अनुरूप नहीं हुई है। मौसम की मार भी इस पर पड़ रही है।

अब अरब की 10-12 वैरायटी पर होगा शोध
काजरी के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अकथ सिंह ने बताया कि अब अरब देशों में होने वाली अन्य 10-12 वैरायटी पर काजरी में एक हेक्टेयर में शोध किया जाएगा। कुछ सालों बाद सफल रही वैरायटी का चयन किया जाएगा।

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पांव पानी में, सिर धूप में
खजूर में पुष्पण होने पर नर के पौधों से पराग लेकर मादा के फूलों में हाथों द्वारा परागण क्रिया करना जरूरी है। यह प्रक्रिया हर वर्ष करनी होती है। एक हेक्टेयर में लगभग 7 नर पौधे होने चाहिए। शुष्क एवं अर्धशुष्क जलवायु व 8 से 8.5 पीएच वाली मृदा में इसकी खेती की जा सकती है। खजूर के पांव पानी में और सिर धूप में रहता है यानी इसको तेज गर्मी भी चाहिए।

Source: Jodhpur

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