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जोधपुर /फलोदी . फलोदी को जिला घोषित कर दिया, लेकिन यहां चिकित्सकीय व्यवस्थाएं अब भी कस्बे के बराबर की भी नहीं है। ऐसे में यह कहा जाना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि सीमावर्ती फलोदी जिले में बेहतर चिकित्सा व्यवस्था के दावे फीसड्डी साबित हो रहे है। यहां भामाशाहों ने चिकित्सकीय सुविधाओं का तो अंबार लगा दिया, लेकिन सरकार चिकित्सक लगाने में नाकाम है।

यही कारण है कि बीमारों का जीवन बचाने के लिए दशकों बाद भी बेहतर चिकित्सा व्यवस्था के अभाव में संघर्ष करना पड रहा है। गौरतलब है कि फलोदी का जिला अस्पताल 150 बैड का है, लेकिन आपातकालीन हालात में जीवन बचाने वाला एक भी विशेषज्ञ डॉक्टर अस्पताल में नियुक्त नहीं है। जिला अस्पताल में गत कई सालों से नियमित फिजिशियन पद रिक्त है। वहीं एनेस्थेसिया, सर्जन, ओटोलरींगोलॉजिस्ट के पद भी रिक्त होने से यहां इमरजेंसी सेवाएं नहीं है। जिससे रोगियों को प्राथमिक उपचार के बाद जोधपुर का रास्ता दिखा दिया जाता है, लेकिन आपातकालीन हालात में तीन घंटे का सफर कर जोधपुर तक पहुंचना काफी मुश्किल भरा रहता है।

फैक्ट फाइल

10 लाख से अधिक की आबादी है नवसृजित फलोदी जिले की

सीमावर्ती नोख व नाचना सहित ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी उपचार के लिए आते है यहां

1.25 लाख से अधिक की आबादी है फलोदी शहर की

50 हजार से अधिक मतदाता है फलोदी शहर में

1 हजार से अधिक प्रतिदिन की ओपीडी है जिला अस्पताल की

300 से अधिक प्रसव के मामले प्रति माह

100 से अधिक हर माह होते है इमरजेंसी में रेफर

731 गांव नवसृजित फलोदी जिले में

110 से अधिक हर दिन होते है ओपीडी समय में एक्सरे व सोनोग्राफी

ऐसी आपातकालीन सुविधाएं किस काम की

1.50 करोड़ की लागत का ऑक्सीजन प्लान्ट स्थापित है यहां

44 ऑक्सीजन कन्सन्ट्रेटर मशीन है उपलब्ध

60 से अधिक ऑक्सीजन सिलेण्डर भी उपलब्ध

1 सोनोग्राफी मशीन व दो एक्सरे मशीन उपलबध है यहां

1 सिटी स्कैन मशीन भी चिकित्सकों के अभाव में नहीं हो रहा उपयोग

विशेषज्ञों के अभाव में ऑपरेशन थियटर नहीं आ रहा काम

ओपीडी समय के बाद आपातकालीन स्थिति में नहीं मिलती है एक्स-रे, सोनोग्राफी, रोग जांच की सुविधा

फलोदी को हैं डॉक्टर्स की जरूरत

यह क्षेत्र सीमान्त क्षेत्र होने से यहां आपातकालीन चिकित्सा व्यवस्था आवश्यक है। जिला अस्पताल होने के बावजूद चिकित्सक नहीं है। इस संबंध में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से चिकित्सक लगाने के लिए आग्रह किया जाएगा।

– प्रकाश छंगाणी, जिलाध्यक्ष कांग्रेस विचार मंच जोधपुर देहात

सरकार चिकित्सक लगाने में नाकाम

फलोदी सीमान्त जिला है, लेकिन चिकित्सकों कमी से लगता नहीं यह जिला बना है। मैने कोविड महामारी के समय एमएलए कोटे से एक करोड़ की मशीनरी दी है। भामाशाहों ने भी ऑक्सीजन प्लॉन्ट, सिटी स्कैन मशीनों पर तीन करोड़ से अधिक खर्च किया है, लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सकों के अभाव में इन मशीनरी का उपयोग नहीं हो रहा।

– पब्बाराम विश्नोई, विधायक फलोदी

भगवान ही मालिक

जिला अस्पताल भले ही बना है, लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सकों का अभाव है। जिससे बीमारों को उपचार नहीं मिल रहा। इस सरकार के आने के बाद से अस्पताल में चिकित्सकों का टोटा होने से जाते ही रेफर कर दिया जाता है।

– नरेश व्यास, संभाग अध्यक्ष भारतीय किसान संघ

भामाशाहों ने किया है बड़ा सहयोग

मानव जीवन की सुरक्षा के लिए भामाशाहों ने हर आपातकालीन सुविधा मुहैया करवा दी, लेकिन सरकार चिकित्सक नहीं लगा रही। जिससे भामाशाहों का आर्थिक सहयोग जीवन बचाने के काम नहीं आ रहा।

Source: Jodhpur

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