बाड़मेर. चौहटन कस्बे में राजू बनकर 10 वर्ष तक रहे इमामुद्दीन ने यहां का मूलनिवास व आधार कार्ड बनवाने के बाद कथित पत्नी कमला के नाम से भूखंड भी ले लिया। बड़ी बात यह कि कागजात में कमला के पति का नाम चुतराराम तथा स्कूल में बच्चों के पिता का नाम राजूराम प्रजापत, निवासी पीपराली, सांचौर लिखा है।
इसके बावजूद उसपर किसी को शक तक नहीं हुआ। स्थानीय बाशिंदों का कहना है कि सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण तथा बाहरी लोगों के लिए प्रतिबंधित इस क्षेत्र और कितने लोग इस तरह रह रहे हैं, इसकी जांच करने वाला कोई नहीं है।
कैसे बने दस्तावेज?
लोगों को अपने असली दस्तावेज बनाने में भी पसीने छूट जाते हैं, लेकिन इमामुद्दीन ने आसानी से मूलनिवास, आधार कार्ड सहित अन्य दस्तावेज बना लिए।
इनके लिए इमामुद्दीन ने दूसरे कौनसे दस्तावेज पेश किए, और वो कहां से लाया यह जांच का विषय है। वह कमला पत्नी चुतराराम को फलोदी के भोजारिया से दो बच्चों सहित भगाकर लाया था। यहां उसे अपनी पत्नी बताकर रहता था।
पीपराली ले गया था शव
कमला की मौत के बाद उसका शव लेकर वह पहले पीपराली गया था। वहां से वह वापस भोजासर (फलोदी) ले गया। वहां उसके परिवार वालों ने उसका दाह संस्कार करवाने से मना किया तो वह पुलिस के पास गया। वहां स्थानीय लोगों व पुलिस ने शव का अंतिम संस्कार करवाया।
उठाया था मुद्दा
कई बार प्रशासन व पुलिस के साथ बैठकों में बाहरी लोगों के सत्यापन का मुद्दा उठाया था, लेकिन उस पर आज तक कोई गौर नहीं किया गया। समय रहते बाहरी लोगों का सत्यापन जरूरी है।
- कैलाश शर्मा, पंचायत समिति सदस्य, चौहटन
प्रशासन हो गंभीर
बाहरी लोगों के लिए प्रतिबंधित क्षेत्र के बावजूद भोली-भाली शक्ल में छुपे इमामुद्दीन ने यहां के लोगों को गुमराह किया। पुलिस व प्रशासन को गंभीरता से राजू की गतिविधियों सहित बाहरी लोगों का सत्यापन करना चाहिए।
– खेतसिंह घोनिया, उपाध्यक्ष भाजपा, चौहटन
कैसे बनाए दस्तावेज
मूलनिवास, आधारकार्ड बनवाने के लिए संबंधित व्यक्ति को वहां का बाशिंदा होने के कई दस्तावेज देने पड़ते हैं, लेकिन राजू के लिए यह इतना आसान कैसे हो गया। इसकी भी जांच की जानी चाहिए।
- महेन्द्रसिंह राठौड़, अध्यक्ष भाजपा युवा मोर्चा
Source: Barmer News