बिलाड़ा। चुनौतियां भले ही कितनी क्यों ना हो, व्यक्ति अपनी हिम्मत बरकरार रखें तो दुख-दर्द को पार करते हुए दूसरों के लिए प्रेरणा बन जाता है। हंसते- खेलते अमर दास वैष्णव के परिवार के सात लोगों के सड़क हादसे में चले जाने के बाद उसे व्यापार से विरक्ति हो गई और उसने समाज के वंचित और दुखी वर्ग की सेवा करने की ठानी। ठीक 16 वर्ष पहले वह भूखों को भोजन उपलब्ध करवाने, जरूरतमंद विद्यार्थियों को स्कूल सामग्री देने में, चिकित्सालय में मरीजों की सेवा, सामूहिक विवाह आयोजनों में घरेलू सामग्री भेंट करने जैसे कई धर्मार्थ कार्यों में ऐसा जुटा कि उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। अब सोलह वर्ष बाद वह क्षेत्र में समाज सेवा की सच्ची नजीर बन गया।
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तीर्थ करने के दौरान हुआ हादसा
अपनी शादीशुदा बेटियों के परिवार के साथ अमर दास का परिवार तीर्थ के लिए हरिद्वार जा रहा था। जयपुर के पास हुए सड़क हादसे में उसने अपनी मां, पत्नी और तीनों पुत्रियों को गंवा दिया। सदमा ऐसा लगा कि व्यापार से विरक्ति हो गई। उदासी से उबरा तो 18 अगस्त 2008 को बिलाड़ा में मरूधर केसरी रेफरल अस्पताल के पीछे भारत सेवा संस्थान की नींव रखी। प्रतिदिन जरूरतमंद लोगों के लिए भोजन, चिकित्सालय में भर्ती मरीजों के लिए फल, दवाइयां, दूध, नाश्ता और भोजन तैयार कर पहुंचाने का काम शुरू किया। उसके कुछ साथी और जुड़ गए और प्रतिवर्ष नगर पालिका क्षेत्र के 5 स्कूलों के जरूरतमंद बच्चों को स्कूली ड्रेस और पढ़ाई की सामग्री आदि भेंट करने लगे। यह कार्य अनवरत रूप से बारहों मास चला करता है। आर्थिक तंगी आई तो समाज के लोग आगे आए और संस्था को मासिक और वार्षिक चंदे के रूप में सहयोग करने लगे।
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सेवा कुटिया भी बना डाली
अमरदास वैष्णव की इस संस्था ने अब कस्बे के निकट प्लॉट लेकर सेवा कुटिया बना ली है। यहां प्रतिदिन राहगीर, साधु-संत और जरूरतमंद पहुंचकर भोजन ग्रहण करते हैं। संस्था आगामी कार्य योजना के तहत बुजुर्गों के लिए लाइब्रेरी, गेस्ट रूम आदि भी बनाने पर भी काम कर रही है। संस्था के साथ वर्षों से जुड़े हुए कानाराम पटेल, अधिवक्ता गिरधारीलाल कंसारा, शकील अहमद कुरेशी, मांगीलाल, रमेश भाई माहेश्वरी, रूप सिंह परिहार, मंगल प्रकाश जैसे कई लोग प्रतिदिन अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।
Source: Jodhpur