जोधपुर। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नाबालिग से यौन शोषण के दोषी आसाराम बापू की जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायाधीश एसवीएन भट्टी की खंडपीठ ने कहा कि अगर ट्रायल कोर्ट की सजा के खिलाफ उनकी अपील पर शीघ्र सुनवाई नहीं की जाती है तो याचिकाकर्ता सजा के निलंबन के लिए राजस्थान हाईकोर्ट के समक्ष नई याचिका दायर कर सकता है।
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आसाराम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामथ ने याचिका वापस लेने की छूट मांगी, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया। खंडपीठ जुलाई 2022 के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ आसाराम की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया गया था। हाईकोर्ट ने सजा को निलंबित करने के लिए आसाराम की प्रार्थना को भी खारिज कर दिया था। आसाराम को 2013 में एक नाबालिग लड़की के यौन शोषण के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें 2018 में ट्रायल कोर्ट ने दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके खिलाफ उनकी अपील हाईकोर्ट में लंबित है। बता दें कि आसाराम लोअर कोर्ट से लेकर राजस्थान हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और गुजरात हाईकोर्ट में अब तक 16 बार जमानत के लिए प्रयास कर चुका है।
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बता दें कि इस साल की शुरुआत में कथावाचक आशाराम बापू को गुजरात की गांधीनगर कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। आशाराम बापू को यह सजा सूरत की दो बहनों के साथ रेप के मामले में मिली थी। आशाराम बापू पहले से जोधपुर कोर्ट के फैसले के आधार पर नाबालिग से रेप के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है। अब गांधीनगर कोर्ट ने उन्हें बलात्कार के एक और मामले में दोषी पाते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। 31 जनवरी को गांधीनगर कोर्ट ने महिला शिष्या से रेप के मामले में आसाराम बापू को सजा सुनाई। एक दिन पहले 30 जनवरी को कोर्ट ने आशाराम बापू को दोषी करार दिया है। आसाराम पर सूरत की एक महिला ने करीब 10 साल पहले अहमदाबाद के मोटेरा आश्रम में बार-बार रेप करने का आरोप था। लंबी सुनवाई के बाद गांधीनगर एडिशन डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस कोर्ट ने आशाराम बापू को रेप के मामले में दोषी बताया।
Source: Jodhpur