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जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने नाबालिग से यौन शोषण के अपराध में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे आसाराम के पैरोल प्रार्थना पत्र को खारिज करने पर राज्य सरकार को दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। न्यायाधीश विजय बिश्नोई तथा न्यायाधीश राजेंद्र प्रकाश सोनी की खंडपीठ में आसाराम की ओर से अधिवक्ता कालूराम भाटी ने कहा कि जिला पैरोल सलाहकार समिति ने 21 अगस्त को याचिकाकर्ता की बीस दिन के पैरोल पर रिहा करने के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया है, जिसकी वजह पुलिस की विपरीत सिफारिश तथा कानून व्यवस्था की स्थिति पैदा होने की आशंका बताई गई है।

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भाटी ने दलील दी कि याचिकाकर्ता ग्यारह साल से ज्यादा अवधि से जेल में है। उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने आसाराम को पैरोल दिए जाने की सिफारिश की है, लेकिन जिला स्तरीय समिति ने उसकी अनदेखी की। जेल में याचिकाकर्ता का आचरण संतोषप्रद रहा है और उसकी उम्र को देखते हुए पैरोल पर बीस दिन के लिए रिहा किया जाना चाहिए। खंडपीठ ने अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल जोशी को दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है। इससे पहले भी जिला समिति ने आसाराम का पैरोल प्रार्थना पत्र नए नियमों के तहत खारिज किया था। हाईकोर्ट ने तब पुराने नियमों में नए सिरे से आसाराम के प्रार्थना पत्र पर विचार करने के निर्देश दिए थे।

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इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नाबालिग से यौन शोषण के दोषी आसाराम बापू की जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायाधीश एसवीएन भट्टी की खंडपीठ ने कहा कि अगर ट्रायल कोर्ट की सजा के खिलाफ उनकी अपील पर शीघ्र सुनवाई नहीं की जाती है तो याचिकाकर्ता सजा के निलंबन के लिए राजस्थान हाईकोर्ट के समक्ष नई याचिका दायर कर सकता है।

Source: Jodhpur

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