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रतन दवे

Rajasthan Assembly Election 2023 प्रदेश में विधानसभा चुनावों की सरगर्मियां तेज होने के साथ ही अब हाईटेक हो रहे चुनाव प्रचार-प्रसार में पहली बार ट्रैक्टर और जेसीबी बुक हो रही हैं। लग्जरी कारें तो अनगिनत दौड़ना शुरू भी हो गई। ट्रैक्टर की डिमांड रैली के लिए औैर जेसीबी फूल बरसाने को चाहिए।

मालाएं अब 51 किलो को पछाड़कर 101 और 500 किलोग्राम पहुंचने लगी हैं। तलवारें और हल भी चाहिए। बस, कार्यकर्ताओं, नेताओं व पार्टी का मानना है कि कुछ ऐसा हट कर हो कि चर्चा में आ जाए। देश में पहले आम चुनाव 1952 से चुनाव शुरू हुए। ग्रामीण व दुर्गम स्थानों पर न वाहन थे और न दूसरे संसाधन। प्रत्याशी बमुश्किल से जीप का जुगाड़ करता और ग्रामीण क्षेत्रों में तो पैदल या ऊंट-बैलगाड़ी के सहारे ही चुनाव प्रचार होता था। 2023 में ऐसा नहीं है, अब तो ट्रेंड फिल्मी हो गया है।

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साउथ की फिल्मों में नेताओं के साथ जैसे वाहनों का काफिला चलता है और उसमें भी एक ही तरह की गाड़ियां, कमोबेश वैसा ही अब यहां होने लगा है। एक नेता के साथ पचास-सौ वाहनों की कतार चलती कई बार देखी जाती है। रेगिस्तानी इलाके जैसे राजस्थान के जैसलमेर-बाड़मेर जिलों में पहले जहां ऊंटों-जोंगा का सहारा लेकर प्रचार होता था, आज सीधे हेलिकॉप्टर उतरते हैं।

पंजाब की तरह ट्रैक्टर
पंजाब के किसानों की रैलियों के साथ ही ट्रैक्टर मशहूर हो गया। ट्रैक्टर पर प्रचार-प्रसार का रिवाज ऐसा चल पड़ा है कि अब बड़े नेताओं की रैलियों से पहले ही ट्रैक्टर की बुकिंग होनी प्रारंभ हो रही है और खुद बड़े नेता ट्रैक्टर पर सवार होकर रैली की अगुवाई करने लगे हैं।

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पिछले चुनावों में उतारे थे हेलिकॉप्टर
विधानसभा के पिछले चुनावों में हेलिकॉप्टर उतारने की हौड़ मची थी। विधायकों ने प्रचार-प्रसार के लिए स्टार प्रचारकों को बुलाया और वे कस्बों में सभाएं कर यहां हेलिकॉप्टर उतारकर लोगों को जोड़ रहे थे। कार्यकर्ताओं को भी हेलिकॉप्टर में बैठने का अवसर दिया।

Source: Barmer News

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