Women Education: Fatima Shaikh: Phule: बाड़मेर. फातिमा शेख ने 170 साल आगे की सोच रखते हुए कौम के विकास के लिए शिक्षा की मजबूत नींव रखी। उनकी सोच और सपना बेहद गहरा और बुलंद था। उसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आज की बालिकाएं शिक्षा के क्षेत्र में किसी से कम नहीं है। वहीं मुस्लिम समुदाय की बच्चियां भी तालीम हासिल करने में पीछे नहीं है। यह बात मदरसा फैजान ए अहमद शाह फातिहा चौक के मौलाना शेर मोहम्मद सिद्दीकी ने बतौर मुख्य अतिथि फातिमा शेख की पुण्य तिथि पर आयोजित बेटी पढ़ाओ समाज को आगे बढ़ाओ कार्यक्रम के दौरान कही।
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थार सोसाइटी के अध्यक्ष जामा मस्जिद के पेश इमाम मौलाना हाजी लाल मोहम्मद सिद्दीकी ने कहा कि इस्लाम में तालीम का बहुत बड़ा मर्तबा है। शिक्षा से कोई वंचित न रहे। बेटी को बेहतर तालीम देने से दो परिवार पढ़ेंगे और समाज का विकास होगा। संयोजक अबरार मोहम्मद ने कहा कि पिछड़े मुस्लिम समुदाय के बालक-बालिकाओं को शिक्षा के क्षेत्र में आगे लाने और उन्हें एक प्लेटफार्म प्रदान कर समाज को एकजुट करने का प्रयास है। उपाध्यक्ष रफीक मोहम्मद कोटवाल, आइटीआइ अनुदेशक लियाकत अली, मुख्तियार भाई नियारगर, व्याख्याता हाजी अनीस अहमद, सचिव इमरान खान गौरी, इकबाल मोहम्मद सिपाही ने भी अपने विचार रखे।
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आदर्श मदरसा हनीफिया उप्राबा आवासीय विद्यालय गुड़ानगर में फातिमा शेख की पुण्यतिथि पर फातिमा शेख को याद कर खैराज ए अकीदत पेश की गई।प्रधानाध्यापक मांगीलाल विश्नोई ने कहा कि फातिमा शेख ने सावित्रीबाई फुले के साथ मिलकर दलित और मुस्लिम समाज की पिछड़ी महिलाओं को पढ़ाया, जिनको धर्म, जाति और ***** के आधार पर विभाजित कर उन्हें तालीम से वंचित रखा जाता था। सावित्री बाई पहली महिला शिक्षिका व फातिमा शेख भारत की पहली मुस्लिम शिक्षिका थी। मदरसा अध्यक्ष जैनब बानू व अध्यापिका जुबेदा बानू ने बताया कि 1848 में फातिमा ने लड़कियों और महिलाओं के लिए भारत में पहला स्वदेशी पुस्तकालय स्कूल की स्थापना की। मदरसा हनिफिया की गुलसन बानो, सफुरा बानो, मदीना बानो, अफसाना बानो, रसीदा बानो, आयसा बानो, हसीना, नगीना, सलामत, मुमताज, सलमा बानो सहित कई सदस्य मौजूद रहे।
Source: Barmer News