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जयकुमार भाटी, जोधपुर। सरदारपुरा सीट शुरू से ही दिग्गजों के हाथ में रही। पूर्व यूआईटी अध्यक्ष मानसिंह देवड़ा के यहां से चुनाव जीतने के बाद पूरे प्रदेश में यह बात उठी कि विधायक दल का नेता किसे बनाया जाए। उस समय मारवाड़ की राजनीति में दबदबा रखने वाले परसराम मदेरणा भी चुनाव जीते थे।

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विधायकों ने विधायक दल का नेता चुनने के लिए कांग्रेस आलाकमान को पत्र लिखा। आलाकमान ने अशोक गहलोत को विधायक दल का नेता बनाया। हैरत की बात यह थी कि उस समय गहलोत विधायक भी नहीं थे और आलाकमान के इस फैसले को परसराम मदेरणा भी नकार नहीं सके। हालांकि आलाकमान के इस फैसले से कई विधायक हैरान थे। गहलोत को विधायक बनाने के लिए मानसिंह देवड़ा ने सरदारपुरा सीट छोड़ दी।

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वर्ष 1999 में सरदारपुरा सीट पर उपचुनाव हुए। गहलोत को उपचुनाव में 49 हजार मत मिले और अशोक गहलोत कई दिग्गज नेताओं को पीछे छोड़ मुख्यमंत्री बन गए। 1999 में हुए उपचुनाव के बाद सरदारपुरा विधानसभा सीट को हॉट सीट में तब्दील हो गई। इसके बाद से गहलोत लगातार इस सीट से जीतते आ रहे हैं। वर्ष 1999 से अब तक जब भी प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी, अशोक गहलोत ही मुख्यमंत्री बने और उन्होंने हर बार सरदारपुरा सीट से चुनाव जीता और तब से गहलोत लगातार इस सीट पर जीतते आ रहे हैं।

Source: Jodhpur

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