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Ravan Sasural In Rajasthan: राजस्थान के जोधपुर में रावण का ससुराल था। ऐसा कहा जाता है। शहर के मंडोर रेलवे स्टेशन के सामने वह जगह आज भी मौजूद है, जहां रावण और मंदोदरी ने फेरे लिए थे। इस जगह को रावण की चवरी के नाम से जाना जाता है। जोधपुर में कई समूह मंडोर को रावण का ससुराल मानते हैं। वे कहते है कि रावण की धर्मपत्नी मंदोदरी मंडोर की ही थी। लेकिन इनका कोई पौराणिक ऐतिहासिक आधार अभी तक नहीं खोजा गया।

जोधपुर में श्रीमाली ब्राह्मणों में दवे गोधा खांप के लोग न केवल रावण की पूरी श्रद्धापूर्वक पूजा अर्चना करते हैं बल्कि विजयदशमी पर्व तक नहीं मनाते। विजयदशमी को रावण दहन के बाद स्नान कर कुछ परिवार नवीन यज्ञोपवीत भी धारण करते हैं। हालांकि खांप के कुछ ब्राह्मण इस परम्परा को दशकों पहले की बताते है तो कुछ इसे पूर्वजों की परम्परा बताते है। दवे गोधा खांप के दिनेश दवे व अजय दवे ने बताया की दशानन दहन पर शोक मनाने और स्नान व यज्ञोपवीत बदलने की परम्परा हमारे दादा परदादा के समय से ही चली आ रही है।

जोधपुर में मंदोदरी और रावण से जुड़ा स्थल रावण की चवरी पर्यटन विभाग के अधीन है और यहां पर देसी-विदेशी पर्यटक देखने के लिए आते हैं। रावण की चवरी के बारे में शास्त्रों में पुराणों में कहीं उल्लेख नहीं मिलता। चवरी के पास ही एल शेप में एक बावड़ी निर्मित है। कहा जाता है कि इस बावड़ी का निर्माण सातवीं शताब्दी में किया गया था और यह सुमनोहरा बावड़ी के नाम से जानी जाती है।

बावड़ी के पास बनी रावण मंदोदरी विवाह की चवरी में ही अष्ट माता और गणेश मूर्ति है। वैसे मंडोर का इतिहास चौथी शताब्दी से मिलना शुरू होता है। गुप्त लिपि में कुछ अक्षरों के आधार पर मंडोर में नागवंशी राजाओं का राज्य रहा था । नागवंशी राजाओं के कारण यहां पर नागादडी याने नागाद्री जलाशय नाग कुंड है और भोगीशेल पहाड़ियां भी आसपास है। किवदंती और दंत कथाओं के अनुसार रावण की पत्नी मंदोदरी मंडोर की राजकन्या थी और इसी स्थान पर उसका विवाह हुआ था। जोधपुर में रावण का मंदिर भी है। रावण के मंदिर में करीब साढ़े छह फीट लंबी और डेढ़ टन वजनी रावण की प्रतिमा छीतर पत्थर को तराश कर बनाई गई है। रावण के मंदिर के ठीक सामने मंदोदरी की मूर्ति है।

मारवाड़ की प्राचीन राजधानी मंडोर याने मांडव्यपुर, मंडोरा मंडोवरा का रावण से संबंध रहा या नहीं यह शोध का विषय है। लेकिन भोगी शैल पहाड़ी पर मांडव ऋषि जरूर यहां तपस्या करने के कारण इस जगह का नाम मांडवपुर पड़ा । मांडव पुर का अपभ्रंश मंडोवर और बाद में मंडोर किया गया। कहा जाता है कि मांडव्य ने राजपाट त्याग कर यहां पर तपस्या की थी। मंडोर उद्यान भी जोधपुर का प्रमुख पर्यटन स्थल है। मंडोर उद्यान में देवताओं की साल, जनाना महल, एक थंबा महल जोधपुर और मारवाड़ के महाराजाओं के देवल और चौथी शताब्दी का एक प्राचीन किला भी है।

 

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Source: Jodhpur

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