जोधपुर। हाल ही में पश्चिम क्षेत्र की हुई एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं के दौरान चैम्पियन बनने की ललक के साथ खिलाड़ियों का अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने का अंदाज भी दिखा। यहां खिलाड़ियों की ओर से उपयोग में किए गए नशे के निशां पाए गए। शाला क्रीड़ा संगम गौशाला मैदान में हुए वेस्ट जोन एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं के दौरान गोशाला मैदान के टॉयलेट्स व बाथरूम में खेल के दौरान क्षणिक क्षमता बढ़ाने वाली प्रतिबंधित दवाइयां, सैकड़ों की संख्या में इंजेक्शन, सीरिंज व सुइयां मिली। प्रतियोगिता में राजस्थान के अलावा गुजरात, महाराष्ट्र व गोवा के खिलाड़ियों ने भाग लिया था।
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एजेन्सी आई ही नहीं
आयोजन समिति के सुरेन्द्रसिंह गुर्जर धौलपुर का कहना है कि संघ का काम टूर्नामेंट कराना है। डोपिंग टेस्ट का काम नेशनल एंटी डोपिंग एजेन्सी (नाडा) का है। यह एजेन्सी आकर खिलाड़ियों का टेस्ट करती है, लेकिन यह एजेन्सी यहां आई ही नहीं।
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नाडा का प्रतिबंध, फिर भी धड़ल्ले से उपयोग
नेशनल एंटी डोपिंग एजेन्सी (नाडा) की ओर से इस प्रकार की नशीली दवाइयों को प्रतिबंधित किया गया है, लेकिन प्रतियोगिताओं के दौरान इन दवाइयों का धड़ल्ले से उपयोग किया जा रहा है। इससे ऐसे खिलाड़ी मेडल हासिल कर लेते हैं और वास्तविक खिलाड़ी पीछे रह जाते हैं। जोधपुर के विभिन्न खेल एक्सपर्ट्स का कहना हैं कि वास्तविक खिलाड़ियों को आगे बढ़ने का अवसर दिलाने के लिए प्रतियोगिताओं के तुरंत बाद खिलाड़ी का डोप टेस्ट लिया जाए चाहिए।
बर्बाद हो सकता है कॅरियर
खेलों में बढ़ती प्रतिस्पर्धा व मैडल की चाह में युवा खिलाड़ी इवेंट शुरू होने से कुछ समय पहले अपनी क्षणिक स्टेमिना बढ़ाने के लिए स्टेरॉयड, प्रतिबंधित दवाइयों के इंजेक्शन या लिक्विड नशीला पदार्थ ले लेते हैं। इससे वह रूटीन में स्टेरॉयड आदि नशीले पदार्थों के सेवन का आदी हो जाता है। ऐसे मामलों को लेकर चिकित्सकों व खेल एक्सपर्ट्स ने अंदेशा जताया कि स्टेरॉयड्स व अन्य नशीली दवाएं न केवल खिलाड़ी के स्वास्थ्य पर बुरा असर करती है, बल्कि उनका खेल कॅरियर बर्बाद कर सकती हैं।
Source: Jodhpur