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पीपाड़सिटी। मुख्यमंत्री के गृह जिले की बिलाड़ा व भोपालगढ़ आरक्षित सीटों (Bilara and Bhopalgarh Assembly Seat) पर कांग्रेस प्रत्याशियों की घोषणा नहीं होने से कार्यकर्ताओं का जोश ठंडा पड़ने लगा है। वहीं कई संभावित दावेदार अन्य दलों के सम्पर्क में रहकर निर्दलीय ताल ठोकने की जुगाड़ करने लगे हैं। इधर, बिलाड़ा से भाजपा प्रत्याशी अर्जुनलाल गर्ग की घोषणा के बाद से कार्यकर्ता सक्रिय हो गए हैं। अभी तक सरदारपुरा, जोधपुर शहर, लूनी, ओसियां, शेरगढ़ के विधायकों को फिर से चुनावी मैदान में प्रत्याशी घोषित करने से अन्य दावेदारों की चिंताएं बढ़ गई हैं। आरएलपी भी पिछले चुनाव में मिले मतों के आधार पर इस बार तीसरा कोण बनाने के लिए कांग्रेस प्रत्याशी (Rajasthan Congress Candidate List) के नाम की घोषणा के इंतज़ार में हैं।

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भोपालगढ़ में पेच फंसा

भोपालगढ़ सीट भी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। अभी तक कांग्रेस, भाजपा दोनों ने अपने प्रत्याशियों के नाम घोषित नहीं किए गए। इस सीट पर कांग्रेस को परिसीमन के बाद जीत नसीब नही हुई हैं। भाजपा की कमसा मेघवाल दो बार निर्वाचित हो चुकी हैं, कांग्रेस ने स्थानीय व बाहरी दोनों तरह के प्रत्याशियों पर दांव लगाया, लेकिन तीसरी बार के चुनावों में आरएलपी के पुखराज गर्ग बाजी मार गए थे।अब भाजपा में भी वसुंधरा गुट, संघ गुट के अलग अलग दावेदार टिकट की जुगाड़ में हैं। पार्टी किसे मौका देती हैं, उसके बाद ही चुनावी बिसात साफ नजर आएंगी। कांग्रेस में पूर्व सांसद बद्रीराम जाखड़, ओसियां विधायक दिव्या मदेरणा का भोपालगढ़,बावड़ी क्षेत्र में अलग अलग प्रभाव होने से कांग्रेस दोनों क्षेत्रीय नेताओं की सहमति से प्रत्याशी चुनने के जतन में जुटी हैं। ऐसे में प्रत्याशी घोषणा में देरी से दावेदारों के बढ़ते गुट से एकजुटता से चुनाव लड़ने के लिए आला नेताओं को पसीना बहाना पड़ेगा।

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जातीय समीकरण पर नजर
परिसीमन के बाद बिलाड़ा विधानसभा की सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने से साथ मंडोर पंचायत समिति के कई गांवों को शामिल करने के बाद कांग्रेस को तीसरे चुनाव में सफलता मिल सकी। पहले दो चुनावों में भाजपा के अर्जुनलाल गर्ग चुने गए, दूसरी बार कांग्रेस के हीराराम मेघवाल को मात देने के बाद सन 2018 के चुनाव में गर्ग मात खा गए। गर्ग ने जनसम्पर्क के मामले में बढ़त बनाते हुए कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर दिया हैं।

Source: Jodhpur

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