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प्रदेश का मेगा प्रोजेक्ट रिफाइनरी 70 प्रतिशत तैयार हो गया है। 2008 से 2018 तीन चुनावों में प्रदेश का यह मुख्य मुद्दा रहा है लेकिन 2023 की चुनावी गर्मीं में अभी तक रिफाइनरी पर क्रेडिट वार नहीं हुआ है। न तो कांग्रेस और न ही भाजपा इस मुद्दे को भुनाने के लिए कोई बड़ा बयान अभी दे रही है।
2008- रिफाइनरी की मांग
2003 में मंगला तेल क्षेत्र की खोज के बाद में बाड़मेर में रिफाइनरी की मांग शुरू हुई। तेल उत्पादन 2009 में शुरू हुआ । भाजपा सरकार के कार्यकाल में यह मांग उठी लेकिन 2008 मेें भाजपा हार गई और कांग्रेस सरकार आई। भाजपा हार गई।
2013- शिलान्यास- कांग्रेस की हार
2008 से 2013 तक कांग्रे्रस की सरकार में पहले बाड़मेर के लीलाळा और बाद में सांभरा पचपदरा में जमीन तलाशी गई। पचपदरा के पास सांभरा में चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रिफाइनरी के पत्थर की नींव रखी और रिफाइनरी के मुद्दे के साथ कांग्रेस चुनावों में उतरी। लेकिन 2013 में कांग्रेस की हार हुई, भाजपा सत्ता में आई।
2018- कार्य शुभारंभ- भाजपा हारी
2013 से 2018 तक भाजपा सरकार रही। रिफाइनरी का मामला राजनीतिक दांवपेच में फंस गया। रिफाइनरी को लेकर रियायतें, जमीन और अन्य मामलों को लेकर पेच फंसा रहा। आखिरकर 2018 में एमओयू हुआ और भाजपा सरकार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सांभरा पहुंचे और उन्होंने यहां रिफाइनरी का कार्य शुभारंभ किया। चुनावों में मुद्दा बनाया गया कि कांग्रेस ने केवल पत्थर लगाया था, लेकिन भाजपा ने कार्य शुभारंभ किया है। अब रिफाइनरी बनेगी। लेकिन 20189 के चुनावों में भाजपा की हार हो गई।
2023- रिफाइनरी 70 प्रतिशत तैयार
2018 से 2023 तक कांग्रेस सरकार का कार्यकाल है। 2018 में कांग्रेस सरकार ने आते ही रिफाइनरी का कार्य शुरू किया लेकिन कोरोनाकाल में यह मद्धम पड़ गया। इसके बाद काम द्रुतगति से शुरू हुआ। अब रिफाइनरी 70 प्रतिशत तैयार हो गई है। वर्ष 2024 में इसे प्रारंभ करने का दावा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कई बार दोहरा चुके हैै। केन्द्र सरकार इसे अपनी उपलब्धित बताती रही है लेकिन चुनावों के इस गर्मागर्म माहौल में अभी दोनों ही दल रिफाइनरी पर मौन है।

Source: Barmer News

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