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Rajasthan Patrika: Readers Blog: Barmer: Assembly Elections: वोट जनता की ताकत है’ जैसी न जाने कितनी पंक्तियां और नारे मतदान के महत्त्व को दर्शाते दिखाई देते हैं। जब भी चुनाव करीब आते हैं, तो ये शब्द गली-शहरों के दीवारों पर दर्ज नजर आने लगता है। मतदान से आशय है जनता अपने मत को लोकतांत्रिक गंतव्य तक पहुंचाए यानि मतदान जनता की एक ऐसी शक्ति है जो लोकतांत्रिक गणराज्य का अतिविशिष्ट और अभिन्न अंग है।

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संवैधानिक रूप से मतदान की अनिवार्यता पर निर्णय नहीं

यदि हम भारत की बात करें तो वर्तमान स्थिति में मतदान को लेकर जनजागरूकता अभियान जरूर चलाया जा रहा है, पर संवैधानिक रूप से मतदान की अनिवार्यता पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। जब कभी मतदान की बातें होती है, तो कई तर्क सामने आते हैं। कइयों का कहना होता है कि मतदान करना आवश्यक है तो कई कहते हैं कि एक मत भी बहुत महत्त्वपूर्ण साबित हो सकता है तो कई उसकी अनिवार्यता न होने के कारण उसका आह्वान करना भी सही नहीं समझते। दूसरी ओर, परिस्थिगत कारणों के चलते भी कुछ लोग मतदान की अनिवार्यता की दलील को खारिज करते हैं। मतदान की अनिवार्यता जरूरी है, लेकिन अनिवार्यता संविधानिक तौर पर नहीं, बल्कि जागरूकता से आनी चाहिए। अक्सर यह देखा गया है कि भारत में मतदाताओं के फीसदी में हर अगली बार बढ़ोतरी हो रही है। सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में बिना अनिवार्यता के 67 प्रतिशत मत आना वाकई गौरव की बात है।

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कमी जागरूकता की
कमी कानूनों की नहीं, कमी जागरूकता की है जो धीरे-धीरे कम होती दिखाई दे रही है। जागरूकता से लाई गई अनिवार्यता से लोकतंत्र का लचीलापन बरकार रहेगा और नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन होने बचेगा। साथ ही इस तरह से किया गया मतदान सही मायने में सफल रहेगा।
– खुमान सिंह, लंगेरा बाड़मेर

Source: Barmer News

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