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पाटोदी कस्बे के सार्वजनिक श्मशान घाट में अव्यवस्थाएं पसरी हुई हैं। श्मशान यात्रा की ओर जाने वाला रास्ता भी कंटीली झाड़ियों व उबड़ खाबड़ रास्तों से अटा हुआ है। इससे शव यात्रा में जाने वाले ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। श्मशान जाने वाले रास्ते में जगह-जगह पसरी गंदगी के ढेर नजर आ रहे हैं।

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शव यात्रा में जाना भी मुश्किल हो जाता

ग्रामीणों ने बताया कि बारिश के समय तो कई माेहल्लों में बारिश के पानी से हुए कीचड़ में शव यात्रा में जाना भी मुश्किल हो जाता है। ग्राम पंचायत व पंचायत समिति की ओर से साफ सफाई और रास्ते ठीक करवाने के लिए कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। श्मशान घाट परिसर में भी बैठने के लिए कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। श्मशान घाट में घनी उगी बबूल की झाड़ियाें के कारण अंतिम यात्रा में शामिल होने वाले परिजनों व लोगों को समस्या पेश आती है।
उनका कहना है कि पूर्व में ग्राम पंचायत की ओर से बैठने के लिए टिन शेड की व्यवस्था की गई थी , लेकिन रखरखाव व सफाई व्यवस्सा न होने के कारण यह जगह बैठने लायक नहीं है। वहीं लोगों को यहां शव यात्रा में पहुंचने के दौरान कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस समस्या को लेकर कई बार लोगों ने ग्राम पंचायत में पंचायत समिति अधिकारियों को बताया, मगर कोई सुनवाई नहीं की जा रही है। श्मशान घाट से पाटोदी तक सड़क भी नहीं होने के कारण इस मार्ग से लोगों को पैदल चलना मुश्किल हो रहा है। लोगों को आए दिन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं इस रास्ते से अन्य मोहल्लों में लोगों का आवागमन रहता है। सार्वजनिक श्मशान घाट में कई बार तो ग्रामीणों ने अपने पैसों से सफाई करवाई, मगर ग्राम पंचायत की ओर से कोई सार्वजनिक श्मशान घाट पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

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इनका कहना है
श्मशान घाट के रास्ते में कई जगह गंदगी के ढेर पड़े हैं। ग्राम पंचायत पूरे रास्ते में उगी बबूल की झाड़ियां भी नहीं कटवा रही है। इस कारण यहां आने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।- प्रेम सोनी, समाजसेवी
श्मशान घाट में बैठने के लिए भी कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। बारिश के समय में कई मोहल्लों में बारिश का पानी होने के कारण शव यात्रा में जाने वाले लोगों को परेशान होना पड़ता है। इस समस्या के बारे में ग्राम पंचायत व पंचायत समिति अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को बताया गया, मगर कोई सुनवाई नहीं की जा रही है। -विशाल वैष्णव, ग्रामीण।

Source: Barmer News

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