बालोतरा. नगर के वस्त्र उद्योग के लिए प्राणवायु माना जाने वाला बहुप्रतीक्षित 18 एमएलएडी का आर. ओ. प्लांट धन अभाव में खटाई में पड़ सकता है। 115 करोड़ के स्वीकृत प्लांट में केन्द्र सरकार ने दो वर्ष पूर्व अपने हिस्से का 15 प्रतिशत तथा सीईटीपी ने 60 प्रतिशत राशि आवंटित की थी।
वहीं राज्य सरकार ने अभी तक एक रुपया नहीं दिया है। जबकि सीईटीपी ट्रस्ट व औद्योगिक संगठन कई बार केन्द्र व प्रदेश सरकार से बजट आंवटित करने की मांग कर चुके हैं।
इस पर प्लांट निर्माण की देरी होने से वस्त्र उद्योग पर कभी भी समय संकट के बादल मंडरा सकते हैं। इसे लेकर उद्यमी परेशान व चिंतित हैं।
देश व विदेश में पोपलीन के नाम से बालोतरा वस्त्र उद्योग के दूसरे पहलू में जल प्रदूषण की समस्या भी जुड़ी हुई है। बीते वर्षों में प्रदूषण को लेकर एनजीटी न्यायालय के सख्त रवैये पर प्रभावित उद्योग से उद्यमियों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा।
लंबे समय तक प्रभावित रहे उद्योग पर लाखों जनों को प्रत्यक्ष- अप्रत्यक्ष रूप से बेरोजगारी का सामना करना पड़ा। पिछले कई वर्षों से सीईटीपी ट्रस्ट उद्यमियों को जारी एनओसी के 40 फीसदी क्षमता पर प्लांट का संचालन कर रहा है।
115 में से मिले मात्र 26 करोड़
केन्द्र सरकार की ओर से स्वीकृत तथा 115 करोड़ से बनने वाले 18 एमएलडी क्षमता का आर.ओ. प्लांट में 50 फीसदी राशि केन्द्र सरकार तथा 25-25 फीसदी राशि प्रदेश सरकार व सीईटीपी ट्रस्ट को वहन करनी है। इसे लेकर वर्ष2016 में केन्द्र सरकार ने प्रथम किश्त के रूप में 8.63 करोड़ दिए।
सीईटीपी ट्रस्ट ने अपनी हिस्सेदारी के 17.26 करोड़ रुपए व्यय किए। केन्द्र सरकार को 57.56 करोड़ रुपए देने है, लेकिन पहली किश्त के बाद शेष राशि स्वीकृत नहीं की।
वहीं प्रदेश सरकार ने अपने हिस्से की 28.78 करोड़ में से अब तक कुछ नहीं दिया है। इसको लेकर सीईटीपी ट्रस्ट व औद्योगिक संगठन को संतोषप्रद जबाब नहीं मिल रहा।
85 फीसदी पानी फिर होगा उपयोग
बालोतरा सीईटीपी ट्रस्ट से 400 वस्त्र इकाइयां जुड़ी हुई हैं। इन्हें जारी एनओसी की 40 फीसदी क्षमता पर कार्य हो रहा है। करीब एक वर्ष पूर्व प्लांट के शुरू हुए निर्माण पर अब तक करीब 70 फीसदी सिविल कार्य हो चुका है। करीब 15 फीसदी मशीनें पहुंच चुकी हैं।
मार्च माह में प्लांट बनकर तैयार होने की उम्मीद है। लेकिन बजट अभाव में परेशानी खड़ी हो सकती है। क्योंकि प्रदूषण को लेकर ट्रस्ट बीच-बीच में प्लांट संचालन बंद रखता है। प्लांट बनकर तैयार होने व संचालन प्रारंभ होने पर 85 फीसदी पानी उद्योग में दुबारा काम आएगा।
इससे कीमती जल की बड़ी बचत होने के साथ जल प्रदूषण की समस्या का स्थाई समाधान होगा। 400 वस्त्र इकाइयां पूरी क्षमता से संचालित होने पर उद्योग को बल मिलेगा।
प्रभावित होंगे एनजीटी के आदेश
हिस्सेदारी की योजना में सीईटीपी ने स्वयं के हिस्सेदारी के 17.26 करोड़ खर्च करने के साथ शेष राशि के लिए बैंक का स्वीकृत पत्र केन्द्र व प्रदेश सरकार को प्रस्तुत किया है। केन्द्र सरकार ने पहली ग्रांट दी है, शेष नहीं दी। प्रदेश सरकार ने अब तक कोई ग्रांट नहीं दी है।
वस्त्र मंत्रालय, प्रदेश सरकार के उद्योग आयुक्त से निरंतर सम्पर्क में है। प्लांट निर्माण में देरी पर परेशानी खड़ी हो सकती है। एनजीटी के आदेश भी प्रभावित होंगे। सरकार शीघ्र ग्रांट उपलब्ध करवाएं।
– मनोज चौपड़ा, सचिव सीईटीपी बालोतरा
Source: Barmer News