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बाड़मेर। परिवार का पालन-पोषण करने और भाई-बहनों की पढ़ाई के लिए पिता की आय पर्याप्त नहीं हो रही थी, तो महिपाल पढाई छोड़ कर उनका सहारा बनने के लिए काम पर चला गया, लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था। ओवरब्रिज पर गुरुवार को हुई एक लापरवाही ने पिता का हौसला, भाई का भविष्य और बहनों का प्यार छीन लिया। महिपाल के पिता ट्रक पर खलासी का काम करते हैं। वे मुश्किल से महीने के 15 हजार रुपए कमा पाते हैं। ऐसे में छह सदस्यों के परिवार का पालन-पोषण और सभी बच्चों की पढाई का खर्च पूरा नहीं हो पा रहा था।

इसलिए महिपाल ने भी पढाई छोड़ कर काम पर जाना ही उचित समझा। उसने बीते वर्ष नौंवीं कक्षा में ही पढाई छोड़ कर उदयपुर में एक मिष्ठान भंडार पर काम करना शुरू कर दिया। लंबे समय के बाद वह दो दिन पहले ही परिवार से मिलने के लिए घर आया था, लेकिन उसे भी कहां पता था कि इस मुलाकात के बाद वह अपनों से फिर कभी नहीं मिल पाएगा। महिपाल गुरुवार को फिर से काम पर जाने के लिए घर से निकला। बाड़मेर पहुंचने पर वह अपने बचपन के दोस्त भरत से मिलने नवले की चक्की चला गया। यहां से जब वे बाइक से सिणधरी चौराहे की तरफ जा रहे थे, ओवरब्रिज पर हुए हादसे ने सबकुछ छीन लिया।

नहीं बन पाई आवास की छत
कूंपदान को प्रधानमंत्री आवास योजना से आवास स्वीकृत हुआ था, लेकिन पास में रुपए नहीं होने के कारण वह पूरा नहीं हो पाया। जैसे-तैसे दीवारें तो खड़ी कर दीं, लेकिन उसके पास छत के लिए रुपए नहीं थे। मकान जल्दी पूरा हो जाए, इसके लिए महिपाल काम पर भी जल्दी चला गया।

घर में मचा कोहराम, गांव में शोक
हादसे के बाद महिपाल को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उसकी मौत हो चुकी थी। घटना को लेकर जब परिवार के लोगों को पता चला तो घर में कोहराम मच गया। दादी, मां तथा भाई बहनों का रो-रोकर बुरा हाल हो रहा था। आस-पास के लोग ढाढस बंधाने पहुंचे, लेकिन उनकी भी रुलाई फूटने से नहीं रही। पूरे गांव में शोक पसर गया।

Source: Barmer News

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