नागेश शर्मा, हनुमानराम ईनाणियां
पालड़ी जोधा गांव के चरवाहे मंगलाराम रेबारी। भेड़ों के रेवड़ चराते हुए सीधे जंगल से कारसेवा में चला गए। तब उम्र करीब 30 वर्ष थी। मंगलाराम बताते हैं 18 अक्टूबर 1990 का दिन था। नागौर से बड़ी संख्या में राम भक्त कारसेवा के लिए अयोध्या जा रहे थे।
रामकाज के लिए लोगों को जाते देख जंगल से मेड़ता रोड पहुंचा और कारसेवकों के साथ ट्रेन में बैठकर अयोध्या के लिए रवाना हो गया। इसकी खबर अन्य चरवाहों ने घर पर पिता को दी। कुछ दिन बाद अयोध्या में रामभक्तों को गोली लगने से मारने की खबरें आ रही थीं, इसी बीच गांव में अफवाह फैल गई की गोली लगने से मेरी मौत हो गई। मुझे मरा हुआ मानकर घरवालों ने मेरा बारहवां कर दिया।
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साथ गए सुखराम भाकल ने बताया कि 21 अक्टूबर की रात हम उत्तरप्रदेश के अछनेरा पहुंचे तो पुलिस ने लाठियां भांजी। धोती कमीज में देख मंगलाराम को खूब पीटा, फिर गिरफ्तार कर जेल के बाहर खुले मैदान में रखा। 22 को सेंट्रल जेल (आगरा) में डाला। 30 अक्टूबर 1990 को जंगलों में छोड़ दिया। घना जंगल, घोर अंधेरा, भूखे प्यासे भटकते रहे। मंगलाराम के साथ वे पैदल चलते-चलते 31 अक्टूबर 1990 को दिन में डीग पहुंचे। बाद में अलग-अलग साधन में बैठकर गांव पहुंचे। मंगलाराम बताते हैं घर वालों ने कारसेवा में जाने से मना कर दिया था, इसलिए जंगल से सीधे जाने का मन बनाया।
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Source: Jodhpur