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पी.आर. गोदारा
भोपालगढ़ (जोधपुर) . बीते दो दिनों से भोपालगढ़ क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों के साथ ही खेड़ापा, सोयला, बावड़ी सहित समूचे ग्रामीण क्षेत्र में हुई मावठ की हल्की बारिश कहीं किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो रही है, तो कहीं नुकसान का सबब भी बन सकती है। इसके तहत जहां मावठ से जीरे की अगेती फसल में कहीं-कहीं थोड़े बहुत नुकसान की आशंका बन रही है। वहीं इसके विपरीत गेहूं व चने की फसल में इसका अच्छा-खासा फायदा भी मिलेगा।

मावठ की बारिश वैसे तो ज्यादातर फसलों के लिए अमृत का काम करती है, लेकिन मावठ के साथ ही कुछेक जगहों पर हो रही तेज बौछारों की वजह से फसलों में फायदे की जगह नुकसान भी झेलना पड़ सकता है। किसानों के अनुसार अभी जो यह मावठ की बारिश हो रही है, यह गेहूं व चना आदि फसलों के लिए अमृत के समान लाभकारी है। तो वहीं जीरे की अगेती फसल, जिसमें फलियां बननी शुरू हो गई है, उसमें इस मावठ से बीमारियां बढ़ने की आशंका भी बन गई है। साथ ही रायां (रायड़ा) की अगेती फसल में भी पाउडरी मिलडायू रोग, जीरे की फसल में नमी से उगटा रोग की आशंका भी बन जाती है। जबकि इस समय की शेष अन्य फसलों के लिए मावठ की बारिश बेहद लाभकारी साबित हो रही है।

पैदावार बढ़ने की उम्मीद
मावठ की बारिश से गेहूं व चने का उत्पादन बढ़ने की उम्मीद बढ़ी है। यह बारिश संभवत: उस समय हुई है, जब रबी फसलों को सिंचाई की जरूरत होती है। बरसात से खेतों में खड़ी गेहूं, जौ, रायड़ा आदि की फसलों को तो जरूर फायदा होगा, लेकिन कहीं बारिश ज्यादा होती है, तो जीरे की अगेती फसलों को नुकसान पहुंच सकता है। – रामपाल प्रजापत, सचिव, भाकियू

लागत में आई है कमी

मावठ की बारिश क्षेत्र के लगभग सभी इलाकों में समान रूप से हुई है। इससे किसानों को सिंचाई का खर्च बचाने में भी मदद मिली है। वहीं इससे तापमान में भी कमी आई है और इससे पाला पड़ने की आशंका कम हो गई है। मावठ गेहूं, चना व रायड़ा आदि की फसलों के लिए भी अच्छी साबित होगी। क्योंकि मावठ की बरसात के पानी के साथ नाइट्रोजन भी आता है और इससे किसानों को यूरिया खाद की आवश्यकता कम पड़ती है।

– भीरमराम रलिया, किसान, भोपालगढ़

विशेषज्ञों की सलाह

मावठ की बारिश से गेहूं व चने की फसलों में तो बहुत फायदा होगा। लेकिन इसके साथ ही जीरे की अगेती फसल, जिसमें दाना बनकर पूर्ण हो रहा है, वहां पर लगातार दो दिन से हो रही मावठ की बारिश से नुकसान की आशंका रहती है। लगातार बारिश से जीरा फसल में झुलसा रोग भी लगने की आशंका रहती है। इसके नियंत्रण के लिए थायोफेनेट मिथाईल दो ग्राम दवा का प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। ताकि जीरे की फसल को झुलस रोग से बचाव किया जा सके।
– बी.के. द्विवेदी, संयुक्त निदेशक, कृषि विस्तार जोधपुर

Source: Jodhpur

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