Posted on

भवानीसिंह राठौड़/ओम माली
बाड़मेर। लीकड़ी गांव के खुमाणसिंह का खेत। रविवार को इस खेत में 140 बोरी जीरा ( Cumin ) उपजने के सपने देखता हुआ पूरा परिवार इत्मीनान की नींद सोया। 140 बोरी यानि 16 लाख। किसान खुमाणसिंह इस राशि से कई खुशियां घर लाने की सोच रहा था लेकिन उसे क्या पता कि टिड्डी ( locust ) उसके सारे सपने चौपट कर देगी। सोमवार की शाम को टिड्डी दल उसके खेत में आकर बैठा और मंगलवार की सुबह पूरा खेत चौपट था। खुमाणसिंह की मेहनत पर पानी फिर गया और पूरे परिवार की आंखों में आंसू ही बचे…न कोई मददगार था न कर पाया।

बकौल खुमाणसिंह रात भर नींद नहीं आई है, आंखों में रात निकाल रहे हैं। सरकार मदद करें, हम तो बर्बाद हो गए हैं। ईसरोल के विशनाराम बाना के खेत में 80 बोरी जीरा होना था लेकिन टिड्डी दल ने पूरी फसल को चौपट कर दिया, अब मुश्किल से एक बोरी उपज होगा। बाड़मेर जिले के अब ऐसे सैकड़ों किसान है जिनके खेतों में खुशहाली के गीत बंद हो गए और बर्बादी के आंसू टपक रहे हैं।

रात भर जागकर खेतों की रखवाली
जिले में जिन-जिन किसानों के खेत में अब मुंह आई फसल है उनके लिए भी अब रातों की नींद उड़ी हुई है। पूरा परिवार आंखों में रात बिता रहा है। पत्रिका टीम सोमवार रात को शिव क्षेत्र के लीकड़ी, बालेसर और अन्य इलाकों में पहुंची तो जहां टिड्डी दल जमा था वहां ही नहीं आस पड़ौस में भी लोग रातभर जाग रहे थे कि कहीं सुबह उनके खेत में यह आफत नहीं आ जाए।

वहीं इधर जोधपुर में टिड्डी दलों पर प्रशासन और लोगों ने कार्रवाई शुरू कर दी है। प्रशासन के आला अधिकारियों ने पंचायत समिति लूणी क्षेत्र के भांडू कला, लुनावास खाटा वास सहित अनेक जगह पर कि टिडडी पर स्प्रे का छिडक़ाव कार्य शुरू कर दिया है। झंवर के नायब दार रवि शेखर ने बताया कि उपखंड अधिकारी गोपाल परिहार के निर्देशन में कृषि विभाग के अधिकारी एवं कृषि विभाग के कर्मचारी मौके पर मुस्तैद है तथा स्प्रे का छिडक़ाव जोरों के साथ कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि टिड्डी ने भांडू कला की सरहद को छोडक़र खाटावास और लुनावास चारण में डेरा जमा दिया है। वही पर पूरी टीमों को मुस्तैदी के साथ तैयार कर दिया गया है और स्प्रे का काम अलसुबह ही शुरू कर दिया गया। प्रशासन ने रात को ही डेरा डाल दिया था, क्योंकि सूर्य उगने के पश्चात टिड्डियां काबू नहीं होती है। भारी मात्रा में टिड्डी दल ने किसानों की मेहनत पर पानी फिर दिया है। लाखों रुपए की फसलें चौपट हो रही है। अपने पसीने से सींची फसलों को नष्ट होता देख धरती पुत्र दुखी और विवश है।

Source: Barmer News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *