Rajasthan News : सीमावर्ती बाड़मेर जिले के किसान अब अन्नदाता ही नहीं वे रोजगार दाता भी हैं। रबी फसल की कटाई शुरू हो गई है। ऐसे में मध्यप्रदेश, बिहार व उत्तरप्रदेश सहित कई बाहरी राज्यों के हजारों लोग टोलियों में मजदूरी के लिए सीचिंत क्षेत्र में पहुंचने लगे हैं। जिले में 3 लाख 82 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में रबी की बुवाई हुई है। यहां मजदूरी करीब 2 अरब की होगी। इस साल प्रतिदिन मजदूरी 50 रुपए बढ़कर दैनिक 450 रुपए हुई है। बाड़मेर जिले में सींचित क्षेत्र बढऩे के साथ ही फसलों के लिए अब कृषक मजदूरों की संख्या लगातार बढ़ने लगी है। मजदूरों की करीब दो माह तक के सीजन में भरपूर जरूरत को देखते हुए उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और बिहार से मजदूर पहुंच रहे है। ये प्रतिदिन 450 रुपए तक मजदूरी में यहां कार्य करेंगे।
महाराष्ट्र- मध्यप्रदेश की फसलें यहां
महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के किसान मजदूरों के यहां आने से वे महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश की फल के पौधों और फसलों को यहां पर बोने का प्रयोग कर रहे है। यह प्रयोग सफल भी हो रहा है। किसान इनके अनुुभव का लाभ भी ले रहे है।
मजदूरों को दे रखे है खेत
जिन किसानों के पास में जमीन है, लेकिन वे खुद इसकी पूरी तरह से सार संभाल नहीं कर पा रहे है, उन्होंने तो पूरे खेत ही मजदूरों को दे दिए है। इन्हें करसा कहा जा रहा है। परिवार सहित रह रहे इनको खेत की उपज में निश्चित हिस्सा दिया जा रहा है।
खेती से रोजगार का कान्सेप्ट
खेती से रोजगार का यह नया कॉन्सेप्ट गुजरात पेटर्न पर शुरू हुआ है। जहां पर मजदूरों को खेत देकर किसान खुद दूसरे कारोबारों में जुटे हुए है। विशेषकर इसमें ऐसे परिवार जो नौकरी या व्यवसाय में बाहर है। उनके यहां पर खेत है। यहां ट्यूबवैल करवाकर फसल बोकर इन मजदूरों को दे दी है।
यह भी पढ़ें- राजस्थान में सस्ती बिजली के लिए पहली बार इतने बड़े स्तर पर होगा काम, भजनलाल सरकार रचेगी नया इतिहास
इन क्षेत्रों में है ज्यादा
जिले के गुड़ामालानी, धोरीमन्ना, धनाऊ, शिव, चौखला, छीतर का पार, भीमड़ा, बाटाडू सहित आस-पास के क्षेत्रों में रबी की बुवाई होती है। ऐसे में यहां बड़ी संख्या में बाहर के लोग मजदूरी के लिए पहुंच रहे हैं।
यह भी पढ़ें- राजस्थान पुलिस के रवैये पर सुप्रीम कोर्ट हैरान, बच्ची को किया गुनाह कबूलने को मजबूर, कार्रवाई के निर्देश
Source: Barmer News